बिहार में रबर, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, बैग निर्माण की 16 फैक्ट्रियां लगेंगी। उद्योग विभाग ने इन फैक्ट्रियों को जमीन आवंटित किया है। ये फैक्ट्रियां खुल जाने के बाद 777 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। जबकि 10 हजार से अधिक युवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाएंगे। उद्योग विभाग ने फैक्ट्री लगाने वाले उद्योगपतियों को प्रथम चरण का एनओसी दे दिया है। ये फैक्ट्रियां पटना, दरभंगा, मधुबनी, औरंगाबाद, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, गया, सहरसा में लगेंगी। इसमें 474 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके लिए 6.13 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। उद्योग विभाग ने जमीन आवंटन के साथ ही मॉनिटरिंग भी शुरू की है। जमीन मिलने के बाद फैक्ट्री नहीं खोलने वाले उद्योगपतियों का आवंटन निरस्त किया जाएगा। नियम विरुद्ध काम करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मॉनिटरिंग में फैक्ट्री का ढांचा, उत्पादन, कर्मचारियों की नियुक्ति आदि मामले शामिल हैं। इसके साथ ही एनजीटी के नियमानुसार पर्यावरण का भी ध्यान रखा जा रहा है। 10 हजार एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र जानकारी के मुताबिक उद्योग विभाग बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में नोएडा, गुजरात, मुंबई, कानपुर की तरह ही औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रहा है। अबतक 10 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ है। हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बिहटा की फैक्ट्रियों में जूते, बैग, बैटरी, कपड़े, टीशर्ट का उत्पादन शुरू हो चुका है। बिहटा में ड्राइपोर्ट बनाया गया है, जहां से माल सीधे विदेशों में निर्यात किया जा रहा है। उद्योग विभाग की राज्य के हर जिले को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है। दिसंबर 2024 में 1.81 लाख करोड़ के निवेश का समझौता हुआ है। उसमें 56 हजार करोड़ से अधिक का निवेश हो चुका है। उत्पादन भी 2026 से शुरू हो जाएगा। अभी 38 जिलों में 3 हजार से अधिक छोटी-बड़ी फैक्ट्री चल रही हैं। इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं। प्रखंड स्तर ही 1300 से अधिक कुटीर उद्योग के रूप में फैक्ट्रियां चल रही हैं। बिहार में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र बिहटा, हाजीपुर और मुजफ्फरपुर है। यहां रबर, टेक्सटाइल, जूता, फूड प्रोसेसिंग, बैग, पैकिंग पॉलिथिन, प्लॉस्टिक की सामग्री बनाई जाती हैं।
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