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फगवाड़ा में बीता अभिनेता धर्मेंद्र का बचपन, दोस्त हुए भावुक:बोले- पहली फिल्म पिता की पैंट से पैसे चोरी कर देखी, रामलीला में नहीं मिला था रोल

पंजाब के दिग्गज फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं है। मगर, पंजाब के फगवाड़ा की गलियों में आज भी उनके कई मशहूर किस्से सुनाए जाते हैं। फगवाड़ा के लोग धर्मेंद्र को अपने घर का बेटा मानते हैं। जैसे ही धर्मेंद्र के निधन की खबर फगवाड़ा पहुंची तो लोगों के चेहरे उतर गए। उनके बचपन के दोस्त और सीनियर एडवोकेट शिव नारायण चोपड़ा तो यह खबर सुनकर भावुक हो गए। बोले- कहा मेरा यार चला गया, अब कुछ कहने की ताकत नहीं बची। मुझे शिब्बू कह कर कौन आवाज मारेगा। एसएन चोपड़ा ने पुरानी यादों की पोटली खोली तो कई बातें पता चलीं। उन्होंने बताया कि हम दोनों ने बचपन में एक साथ पढ़ाई की, एक साथ फिल्में देखीं और लंबा वक्त साथ बिताया। धर्मेंद्र का जन्म लुधियाना के गांव डांगों के नजदीक नसराली में हुआ था, लेकिन उनका बचपन फगवाड़ा में बीता। वे फगवाड़ा में अपनी बुआ के घर रहते थे। उनके पिता केवल कृष्ण चौधरी सरकारी टीचर थे। उन्होंने धर्मेंद्र का एडमिशन फगवाड़ा के रामगढ़िया कॉलेज में कराया था, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट किया। इसके चलते धर्मेंद्र का बचपन फगवाड़ा में ही गुजरा। चोपड़ा बताते है कि धर्मेंद्र ने पहली फिल्म पिता की पैंट से पैसे चोरी करके देखी थी। रामलीला में रोल न मिलने का किस्सा तो आज भी लोग मुस्कुराते हुए सुनाते हैं। सुपरस्टार बनने के बाद भी उन्होंने कभी अपनी मिट्टी से रिश्ता नहीं तोड़ा। अभिनेता धर्मेंद्र के बचपन की कहानी, उनके दोस्त की जुबानी… फगवाड़ा से धर्मेंद्र का गहरा नाता… जहां पहली फिल्म देखी, उसके कॉम्प्लेक्स का किया उद्घाटन
एसएन चोपड़ा बताते है कि साल 2006 में धर्मेंद्र फगवाड़ा आए थे। यहां उन्होंने पुराने पैराडाइज थिएटर की जगह बने गुरबचन सिंह परमार कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। यही वह जगह थी, जहां बचपन में धर्मेंद्र ने मेरे साथ पहली फिल्म देखी थी। उद्घाटन के दौरान उन्होंने ऊंची आवाज में नारा लगाया ‘फगवाड़ा जिंदाबाद’ और मंच पर खड़े-खड़े ही भावुक हो गए थे। पिता की यादें आज भी जिंदा, स्कूल मैनेजमेंट बोला- हमें गर्व
आर्य हाईस्कूल में आज भी मास्टर केवल कृष्ण चौधरी को एक सख्त लेकिन दयालु शिक्षक के रूप में याद किया जाता है। आर्य स्कूल के मैनेजर सुरिंदर चोपड़ा ने कहा, मास्टर जी हमारे स्कूल में छात्रों को पढ़ाते थे, यह हमारे लिए गर्व की बात है। धर्मेंद्र के दोस्त और स्कूल संचालक केके सरदाना ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। धर्मेंद्र ने कहा था- मैं पंजाब का किसान पुत्र हूं
एसएन चोपड़ा बताते है कि 2006 में जब धर्मेंद्र फगवाड़ा आए थे तो उन्होंने कहा था- मैं पंजाब का किसान पुत्र हूं। आज जो कुछ हूं, इस धरती और यहां के लोगों की बदौलत हूं। फगवाड़ा के लिए धर्मेंद्र सिर्फ फिल्मी हीरो ही नहीं थे, वे अपनी मिट्टी से जुड़े रहने, विनम्रता और इंसानियत के प्रतीक थे। ————————–
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लुधियाना के धरम मुंबई जाकर बने धर्मेंद्र:सिनेमाघर में देखा एक्टर बनने का सपना, कहते थे- पंजाब की मिट्टी ने पहचान दी, मैं उसी का बेटा दिग्गज बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र का सोमवार को निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक 89 साल के धर्मेंद्र ने दोपहर करीब 1 बजे अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनका जन्म लुधियाना के नसराली में हुआ था लेकिन बचपन साहनेवाल में बीता। परिवार ने उनका नाम धरम सिंह देओल रखा। लेकिन फिल्मी दुनिया में आकर धर्मेद्र के नाम से फेमस हुए। (पूरी खबर पढ़ें)


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