DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

उत्तराखंड के 8 डिजिटल ‘ब्रांड एंबेसडर्स’:पांडवास-हल्द्वानी की आंटी को पसंद कर रहे लोग, विदेशों में भी अपने कल्चर को प्रमोट कर हे पवन पहाड़ी

उत्तराखंड के पहाड़ों में युवाओं के सामने रोजगार और अवसरों की कमी बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। कई युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म ने इस स्थिति में नई उम्मीद पैदा की है। व्लॉग्स और यूट्यूब चैनल्स के जरिए युवा न सिर्फ अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता दिखा रहे हैं, बल्कि पहाड़ों में बने रहने और अपनी संस्कृति को जीवित रखने का रास्ता भी तलाश रहे हैं। ये क्रिएटर्स केवल मनोरंजन का जरिया नहीं हैं। वे पहाड़ी जीवन, त्योहारों, लोकसंगीत और परंपराओं को अपनी रचनाओं में पिरोकर आने वाली पीढ़ियों तक भी पहुंचा रहे हैं। हमारी आज की रिपोर्ट कुछ ऐसे ही उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर्स के बारे में है, जिन्होंने सोशल मीडिया के जरिए पहाड़ों की असली जीवनशैली और संस्कृति को दुनिया के सामने रखा है। उत्तराखंड के 8 बड़े ‘ब्रांड एंबेसडर्स’के बारे में जानिए…
1. पांडवास ग्रुप 2008 में शुरू हुआ पांडवास बैंड, उत्तराखंड आधारित एक संगीत समूह है, जिसके यूट्यूब पर 3 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। इस बैंड ने पिछले कुछ सालों में कई शानदार और सफल संगीत वीडियो-रचनाएं अपने यूट्यूब चैनल पर डाली हैं। जिन्हें लोग भी काफी पंसद कर रहे हैं। रुद्रप्रयाग के ईशान डोभाल ने उनके भाइयों कुणाल और सलील के साथ मिलकर पांडवास बैंड स्थापित किया गया था, ईशान पिछले 7-8 सालों से इन-हाउस प्रोडक्शन और अन्य प्रोडक्शन हाउसेज के लिए संगीत रचना कर रहे हैं। कुणाल निर्देशन का कार्य संभालते हैं। वहीं सलील डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा टीम में बाकी सदस्यों की भी अहम भूमिका है। 2. आरजे काव्या 12 जुलाई 1988 को जन्में कविन्द्र सिंह मेहता, जिन्हें आज पूरा उत्तराखंड आरजे काव्या के नाम से जानता है। मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले काव्य ने दिल्ली में पढ़ाई करने के बाद रेडियो जॉकी बनने की ठानी। 2010 में वह रेड एफएम से जुड़े और जयपुर, कानपुर, कोलकाता और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। काव्या ने “घोस्ट विलेज नहीं दोस्त विलेज जैसी मुहिम चलाई और यूट्यूब शो ‘उत्तर का पुत्तर’ के जरिए स्थानीय कलाकारों और संस्कृति को नई पहचान दी। 3. दीपक चमोली ऑफिशियल 21 जून 1989 को दिल्ली में जन्में दीपक चमोली के पिता जगदीश प्रसाद चमोली PWD में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे, दिल्ली में कुछ समय रहने के बाद उनका परिवार श्रीनगर गढ़वाल आ बसा, और यहीं से दीपक की ‘सुरों की यात्रा’ शुरू हुई। दीपक बताते हैं कि उन्हें चौथी क्लास से ही सिंगिंग का शौक था। इसके साथ ही दीपक 5 बार नॉर्थ इंडिया यूथ फेस्टिवल के लिए चयनित हुए हैं। दीपक न केवल गायक हैं बल्कि एक कुशल वादक भी हैं, हारमोनियम, तबला, ढोलक, ऑर्गन जैसे 10 से अधिक वाद्ययंत्र बजाने में वह निपुण हैं। पिछले 7 सालों से अपने यूट्यूब चैनल दीपक चमोली ऑफिशियल पर वह गढ़वाली गीतों को शास्त्रीय संगीत की खुशबू के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। लोग भी उनके इस कंटेंट पर खूब प्यार लुटा रहे हैं। 4. कूल पहाड़ी रुद्रप्रयाग के रहने वाले दीपक बिष्ट ने गांव के जीवन को यूट्यूब के माध्यम से 3 लाख से ज्यादा लोगों को जोड़ा है। कूल पहाड़ी के नाम से इस फेमस यूट्यूब चैनल पर 12 करोड़ 80 लाख से ज्यादा व्यूज और 1,100 से ज्यादा वीडियो अपलोड की जा चुकी हैं। दीपक अपने व्लॉग्स के माध्यम से एक ऐसा जीवन दिखाते हैं जो सादगी और कठिन परिश्रम से भरा है। खेतों में जुताई हो, पारंपरिक पहाड़ी पकवान बनाना हो, या अपने परिवार के साथ हंसते-मुस्कुराते पल बिताना हो दीपक हर तरह का कंटेंट बनाते हैं और फैंस भी इसे खूब पसंद करते हैं। उन्होंने अपने गांव में ‘कूल पहाड़ी होमस्टे’ भी शुरू किया है। 5. हल्द्वानी की आंटी हल्द्वानी की आंटी के नाम से मशहूर राशि जोशी, कहानियों को मजाकिया अंदाज में लोगों तक पहुंचा रही हैं, यूट्यूब पर एक लाख 70 हजार सब्सक्राइबर्स के साथ राशि के वीडियोज को 10 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। उनकी खासियत है कि वे अनोखे अंदाज में कुमाऊंनी बोली, संस्कृति, और पहाड़ी रीति-रिवाजों को संजोए हुए दिखती हैं। राशि मूल रूप से बागेश्वर के कांडा की रहने वाली हैं, हालांकि फिलहाल वह हल्द्वानी में अपने बेटे, मां और पति कर्नल गिरीश जोशी के साथ रहती हैं। मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म की पढ़ाई करने वाली राशि, हमेशा से पहाड़ और उसकी बोली के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ी रही हैं। 6. पवन पहाड़ी पिथौरागढ़ के पवन पहाड़ी व्लॉग्स आज 3 लाख 55 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स और 14 करोड़ व्यूज के साथ उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय व्लॉगिंग चैनलों में शामिल हैं। पवन का कंटेंट सिर्फ गांव के जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अपने दर्शकों को देश और विदेश की यात्राओं पर भी लेकर जाते हैं। जोहार वैली की दुर्गम ट्रैकिंग हो या फिर थाईलैंड और तुर्की जैसे देशों के व्लॉग, पवन हर जगह अपनी पहाड़ी पहचान को साथ रखते हैं और उत्तराखंड की संस्कृति को सामने लाते हैं। 1,400 से ज्यादा वीडियो की उनकी लाइब्रेरी पहाड़ और पहाड़ी जीवन को पसंद करने वालों के लिए एक अलग और दिलचस्प अनुभव पेश करती है। 7. प्रियंका योगी तिवारी केदारनाथ घाटी के त्रियुगीनारायण की प्रियंका योगी तिवारी 7 लाख 35 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स के लिए उत्तराखंड की परंपराओं की एक चलती-फिरती लाइब्रेरी हैं। 969 से अधिक वीडियो के जरिए उन्होंने 264 मिलियन से ज्यादा व्यूज के साथ अपनी संस्कृति को दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचाया है। प्रियंका का चैनल खास तौर पर उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन, उनके कामकाज, रीति-रिवाज और संस्कृति पर केंद्रित है। वह फूलदेई जैसे पारंपरिक त्योहारों को मनाने के तरीके को विस्तार से समझाती हैं और दिखाती हैं कि पहाड़ में किस तरह पीढ़ियों से परंपराएं निभाई जाती हैं। वह अक्सर पारंपरिक विवाह, पूजा-पाठ और सामाजिक आयोजनों को भी कवर करती हैं। इससे न सिर्फ दर्शक पहाड़ी संस्कृति से जुड़ते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ये अमूल्य परंपराएं रिकॉर्ड होकर संरक्षित हो जाती हैं। 8. पहाड़ी बाइकर पहाड़ी बाइकर चैनल के होस्ट आलोक राणा अपने दर्शकों को बुलेट की सीट पर बैठाकर देवभूमि के ऊंचे-नीचे रास्तों, अनछुई वादियों और सदियों पुरानी संस्कृति से रूबरू करवाते हैं। आज यह डिजिटल परिवार 4 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स तक पहुंच चुका है, और आलोक राणा के वीडियो को अब तक 14 करोड़ से भी अधिक बार देखा जा चुका है। उनके व्लॉग्स में सिर्फ बाइक राइडिंग का रोमांच नहीं मिलता, बल्कि पहाड़ों की असली, सरल और जमीन से जुड़ी जीवनशैली भी देखने को मिलती है। उनके कैमरे के जरिए दर्शक न सिर्फ यात्रा करते हैं, बल्कि पहाड़ की खुशबू, उसकी बोली और उसकी संस्कृति को भी महसूस करते हैं।


https://ift.tt/b01BEqs

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *