इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कार्यवाहक हेडमास्टर के पद पर काम करने वाले टीजीटी प्रवक्ता को हेडमास्टर पद का वेतन मान पाने का हकदार माना है। साथ ही सेंट्रल रेलवे को निर्देश दिया कि याची को कार्यवाहक हेडमास्टर के पद पर काम करने की अवधि के दौरान नियमित हेडमास्टर का वेतनमान छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने अध्यापक उमाकांत पांडे की याचिका पर दिया है। याची पूर्वी केंद्रीय रेलवे विद्यालय जूनियर विंग में टीजीटी प्रवक्ता के पद पर कार्यरत था। विद्यालय में नियमित हेडमास्टर के रिटायर होने पर उसे इंचार्ज के रूप में काम करने का निर्देश दिया गया। उसने प्रभारी हेडमास्टर के तौर पर एक दिसम्बर 2004 से छह मार्च 2008 तक काम किया। याची ने इस अवधि का हेडमास्टर के समान वेतन भुगतान की मांग को लेकर प्रत्यावेदन दिया। उसके प्रत्यावेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, उल्टे विभाग ने उसे पद के दायित्व का ठीक से निर्वहन न करने के कारण चार्जशीट जारी कर दी। याची ने विभागीय कार्रवाई को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष चुनौती दी। प्राधिकारी ने विभागीय कार्रवाई रद्द कर दी। इसके बाद याची ने कैट में याचिका दाखिल की। कैट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी की याची न तो नियमित प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नत किया गया था और न ही उसे इस पद के समान वेतनमान देने का कोई विभागीय नियम है। याची ने कैट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। कहा गया कि याची ने उच्च पद पर काम किया है इसलिए वह उसके समान वेतन का हकदार है। कोर्ट ने कैट का आदेश रद्द करते हुए याची को प्रभारी हेड मास्टर पद पर काम करने की अवधि के दौरान हेड मास्टर पद का वेतनमान देने का निर्देश दिया है।
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