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शेख हसीना को भारत से वापस भेजने की मांग, ढाका की अंतरिम सरकार ने भेजा एक और कड़ा संदेश

बांग्लादेश की राजनीति इन दिनों फिर गरमा गई है और इसी बीच खबर आई है कि ढाका की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत से वापस भेजने के लिए एक और औपचारिक अनुरोध भेजा है। मौजूद जानकारी के अनुसार यह ताज़ा अनुरोध उस समय आया है जब इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हसीना को अनुपस्थिति में मौत की सज़ा सुनाई है। बता दें कि 78 वर्षीय हसीना अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं, जब छात्र आंदोलन द्वारा हुए “जुलाई विद्रोह” के बाद उनकी सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
गौरतलब है कि बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने रविवार को पुष्टि की कि नई दिल्ली को नया नोट वर्बेल भेजा गया है। यह पत्र बांग्लादेश हाई कमीशन, नई दिल्ली के माध्यम से भेजा गया और यह उस समय आया है जब बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा बैठक से लौटे हैं।
 
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह हसीना के खिलाफ ढाका द्वारा भेजा गया तीसरा औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध है। इससे पहले दिसंबर 2024 और फिर अदालत के फैसले के बाद भी ऐसे पत्र भेजे जा चुके हैं। इसी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व गृहमंत्री असदुज़्ज़मान खान कमाल को भी वापस भेजने की मांग की गई है, जो फिलहाल भारत में छिपे होने की आशंका है।
सोमवार को आए फैसले के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत का दायित्व है कि वह दोषी व्यक्तियों को वापस भेजे। मंत्रालय ने यह भी चेताया कि मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी पाए गए लोगों को शरण देना “गंभीर तौर पर विरोधी व्यवहार” माना जाएगा, जो न्याय की अवहेलना है।
भारत ने इस मामले पर संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसने अदालत के निर्णय को “नोट” किया है और वह बांग्लादेश में शांति, लोकतंत्र और स्थिरता का समर्थन जारी रखेगा। हालांकि, भारत ने किसी भी प्रत्यर्पण अनुरोध पर सीधी टिप्पणी नहीं की है। सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि द्विपक्षीय संधि और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत को औपचारिक अनुरोध मिलने पर दोषियों को वापस भेजना चाहिए। ढाका के विशेषज्ञ एएनएम मुनीरुज्ज़मान ने कहा कि हसीना का ट्रायल अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप हुआ है।
बता दें कि बांग्लादेश में यह पूरा संकट पिछले साल हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद शुरू हुआ, जब जुलाई से अगस्त 2024 के बीच सख्त कार्रवाई में करीब 1,400 लोगों की मौत हुई, जिसके आधार पर हसीना पर आरोप तय किए गए। उसी माहौल में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार की कमान सौंपी गई थी। हसीना के समय भारत-बांग्लादेश संबंध बेहद करीबी थे, लेकिन उनके हटने के बाद इनमें ठंडक आ गई है।
 
हालांकि हाल ही में बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की भारत यात्रा के बाद बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल को ढाका आने का निमंत्रण भी दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में हल्की नरमी दिखी है। पूरा मामला फिलहाल बेहद संवेदनशील है और दोनों देशों की कूटनीतिक बातचीत पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।


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