मथुरा में वन विभाग और वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) दिल्ली की संयुक्त टीम ने मथुरा में वन्यजीव अंगों की तस्करी करने वाले तीन तस्करों को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। पकड़े गए अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत कई लाख रुपए बताई जा रही है।
सूचना मिली थी कि राजस्थान से दो व्यक्ति अवैध वन्यजीव सामग्री बेचने मथुरा आ रहे हैं। जानकारी मिलते ही दो महिला वन रक्षकों सहित 14 सदस्यों की एक विशेष टीम गठित की गई। खरीदार बनकर पहुंचे अधिकारी
योजना के तहत वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) के एक कर्मचारी और वन विभाग के एक दरोगा ने खरीदार बनकर तस्करों से संपर्क किया। गोवर्धन क्षेत्र के रेलवे स्टेशन के पास सौदा तय होते ही टीम ने तीनों को रंगे हाथों पकड़ लिया। उनके कब्जे से 50 हत्था-जोड़ी (विशखपरिया अंग) और 14 उल्लू के पंजे बरामद हुए, जिनकी तस्करी तांत्रिक क्रियाओं में उपयोग के चलते ऊँचे दामों पर की जाती है। रात में पूछताछ, सुबह पुलिस को सौंपे गए आरोपी
गिरफ्तारी के बाद तीनों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत रात करीब 11 बजे गोवर्धन रेंज कार्यालय लाया गया। प्रारंभिक जांच और कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद सोमवार तड़के लगभग 3 बजे आरोपियों को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया।
बाद में उन्हें न्यायालय में पेश किया गया, जहां न्यायालय ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। टीम को देखकर भागने लगे तस्कर, पीछा कर पकड़ा सामाजिक वानिकी मथुरा के प्रभावी निदेशक वेंकटा श्रीकर पटेल ने बताया कि टीम को देखकर आरोपी भागने लगे, लेकिन विभाग और क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त टीम ने पीछा कर उन्हें दबोच लिया।
उन्होंने बताया कि वन्यजीव अंगों की तस्करी के खिलाफ विभाग लगातार सख्त कार्रवाई कर रहा है। आरोपियों की पहचान और आगे की कार्रवाई गिरफ्तार तस्करों की पहचान विकास पुत्र रामगोपाल निवासी हीरापुर सहावर कासगंज, संजय कुमार पुत्र अच्छेलाल तथा वीरेंद्र सिंह पुत्र कृष्णपाल सिंह, दोनों निवासी बलू नारखी, फिरोजाबाद के रूप में हुई है।
तीनों के खिलाफ गोवर्धन थाने में रिपोर्ट दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है।
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