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डॉ. शाहीन का कानपुर कनेक्शन पर रोहिंग्या-बांग्लादेशियों की जांच:स्टेट इंटेलीजेंस की जांच में 125 लोगों के नाम-पता फर्जी निकला, फर्जीवाड़ा कर बनाया आधार

कानपुर में आतंकी डॉ. शाहीन का कनेक्शन सामने आने के बाद स्टेट इंटेलीजेंस के इनपुट पर शहर में चोरी छिपे रहने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या की जांच शुरू की गई थी। टीम ने कानपुर के अलग-अलग इलाकों में 1000 से ज्यादा संदिग्धों का डेटा लिया और उसे सत्यापन के लिए भेजा था। जांच 1 हजार लोगों की जांच में 125 लोगों के नाम-पता फर्जी पाया गया है। यानी के उनके आधार कार्ड या अन्य आईडी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनवाई गई है। जल्द ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कानपुर में रहने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या के खिलाफ पुलिस बड़ा एक्शन ले सकती है। इसके साथ ही फर्जी दस्तावेज के आधार पर आधार कार्ड और अन्य आईडी बनवाने वालों की भी तलाश में टीमें जांच कर रही हैं। कानपुर की बस्तियों में छिपे बांग्लादेशी और रोहिंग्या ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आशुतोष कुमार ने बताया कि डॉ. शाहीन केस के बाद स्टेट इंटेलीजेंस और कानपुर की एलआईयू सक्रिय हुई थी। इस दौरान सामने आया था कि कानपुर के अलग-अलग इलाकों में बड़े पैमाने पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी चोरी छिपे या पहचान छिपाकर रहते हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी गठित करके जांच कराई थी। जांच के दौरान सामने आया कि जाजमऊ थाना क्षेत्र, रायपुरवा, रेलबाजार, बाबूपुरवा और बेकनगंज समेत अन्य इलाकों में संदिग्ध बांग्लादेशी और रोहिंग्या अपनी पहचान छिपाकर चोरी छिपे रहते हैं। यह सब टेनरी में काम, कूड़ा कचरे से संबंधित काम के साथ अलग-अलग कामों में लगे हुए हैं। करीब 1000 लोगों की लिस्ट बनाकर जांच की गई थी। इन सभी का नाम पता सत्यापन करने के लिए संबंधित जगह से इनपुट मांगा गया था। करीब 125 लोगों का डेटा गलत पाया गया है। संबंधित नाम का व्यक्ति उसे जिले में नहीं मिला है, उसके आधार कार्ड में जो नाम और पता लिखा है। पुलिस कमिश्नर ने चार टीमें गठित की है। संबंधित जनपदों और स्टेट में जैसे असम में बरपेटा, झारखंड के पाकुड़ जिला समेत अन्य जिलों के लोग हैं। इन सभी जगहों पर टीमें भेजकर जांच कराई जा रही है। जल्द ही पूरे मामले में बड़ा एक्शन होगा। शहर के बाहरी इलाकों में बसाई हैं बस्तियां रोडवेज बस अड्डे के पास, कल्याणपुर, पनकी, मंधना, यशोदा नगर समेत एक दर्जन से ज्यादा ऐसी बस्तियां हैं. जहां पश्चिम बंगाल और बांगलादेश से आए लोगों ने झुग्गी और झोपड़ियां बनाकर अपने आशियाना बना रखे हैं. यहां ये परिवार के साथ रहते हैं. कोई स्क्रैप का काम करता है तो कोई मजदूरी करता है। कोई टैनरी में काम करता है तो कोई स्क्रैप के गोदाम में कबाड़ की छंटाई का, कोई बोतल बीनता है तो कोई पॉलीथिन बीनने का काम करता है। इन बस्तियों में उस समय जांच की जाती है जब शहर या यूपी में कोई रोहिंग्या पकड़ा जाता है। कुछ दिन पहले ही कोतवाली थाना क्षेत्र में साहिल नाम का रोहिंग्या पकड़ा गया था, साहिल का पूरा परिवार शुक्लागंज में कई साल से रह रहा था, लेकिन किसी को पता नहीं चला। साहिल की गिरफ्तारी होते ही सभी भाग खड़े हुए। कानपुर और उन्नाव पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया उसके बाद भी परिवार का कोई पता नहीं चल सका। पुलिस अधिकारियों की माने तो शहर में रह रहे पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की जांच करने के आदेश एसआईटी को दिेए गए हैं। ऐसे सभी संदिग्ध लोगों का वेरिफिकेशन किया जाएगा और जो भी शाहीन से जुड़े हैं, उन पर विशेष नजर रखी जा रही है। आधार कार्ड कैसे बना, जांच के बाद होगी कार्रवाई जो 125 लोग संदिग्ध सामने आए हैं उनके आधार कार्ड या आईडी कैसे बनी, इसकी जांच शुरू की गई है। वहीं कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले ही जिन शहरों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए कहा गया है, उनमें कानपुर भी है। अभी तक हमारे समाने एक समस्या आती है कि अगर कोई संदिग्ध पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन करने का समय और स्थान नहीं मिल पाता है। डिटेंशन सेंटर बनने के बाद संदिग्ध लोगों को पुलिस की देख रेख में रखकर जांच की जाएगी। दूसरी समस्या स्थानीय पुलिस के साथ है कि अगर बांग्लादेश से कोई शादी करके कानपुर या यूपी के किसी भी शहर में आकर रहने लगता है तो वह छिपकर रहता है। उनके बेटा बेटी होने पर उन्हें भारत की नागरिकता दी जाती है। शहर में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं कुल 85 कश्मीरी डॉ. आरिफ के कश्मीर स्थित अनंतनाग में रहने के बाद कश्मीरी स्टूडेंट्स भी शक की नजर से देखे जा रहे हैं। कानपुर के अलग अलग संस्थानों में 85 कश्मीरी स्टूडेंट्स मिले हैं, जिनकी जांच स्थानीय और स्टेट इंटेलीजेंस से शुरू कर दी है। जम्मू- कश्मीर पुलिस से संपर्क कर इनकी फैमिली ट्री और फैमिली की हिस्ट्री खंगाली जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला हैं।


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