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ममता ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी:बंगाल में प्राइवेट हाउसिंग सोसायटी में पोलिंग स्टेशन और इलेक्शन डेटा आउटसोर्सिंग करने पर आपत्ति जताई

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में चुनाव व्यवस्था से जुड़े दो प्रस्तावों पर आपत्ति जताई है। इनमें डेटा एंट्री का काम निजी कंपनियों को देने और प्राइवेट हाउसिंग सोसायटी के अंदर पोलिंग स्टेशन बनाने का सुझाव शामिल है। उन्होंने सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) द्वारा जारी उस प्रस्ताव पर सवाल उठाया, जिसमें एक साल के लिए 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटर्स और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को बाहर से रखने की बात है। ममता ने पत्र में लिखा कि ये दोनों सुझाव जोखिम भरे हैं। इससे चुनावी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे। इसलिए उन्होंने आयोग से इन दोनों मुद्दों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करने की अपील की ताकि आयोग की साख बनी रहे। पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए मार्च-अप्रैल 2026 में चुनाव होने हैं। बंगाल समेत 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया चल रही है। CM बोलीं- इसके पीछे राजनीतिक फायदा ममता ने यह भी पूछा कि नए रखे जाने वाले कर्मचारियों की काम करने की शर्तें पहले से मौजूद स्टाफ से कैसे अलग होंगी और क्या यह पूरा काम किसी राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। दूसरा मुद्दा प्राइवेट रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के अंदर पोलिंग बूथ बनाने का है। ममता ने कहा कि पोलिंग स्टेशन हमेशा सरकारी या अर्ध-सरकारी जगहों पर होने चाहिए, क्योंकि वे ज्यादा निष्पक्ष और नियंत्रण में होते हैं। उनका कहना है कि प्राइवेट सोसाइटी में बूथ बनाने से लोगों के बीच असमानता, पहुंचने की दिक्कतें और निष्पक्षता पर शक पैदा हो सकता है। 20 नवंबर: ममता बोलीं- SIR खतरनाक, इसे रोकें इससे पहले उन्होंने 20 नवंबर को भी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को लेटर लिखा था। उन्होंने ममता ने राज्य में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को रोकने की मांग करते हुए SIR प्रक्रिया को जबरदस्ती थोपने वाली और खतरनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि प्रक्रिया में बहुत गड़बड़ियां हैं। ममता ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि बिना पर्याप्त ट्रेनिंग, गाइडलाइन और तैयारी के SIR को लागू किया जा रहा है, जिससे BLO और लोगों दोनों पर दबाव बन रहा है। उन्होंने दावा किया था कि कई BLO टीचर, फ्रंटलाइन वर्कर और दूसरे नियमित कर्मचारी हैं, जिन्हें एक साथ घर-घर सर्वे और ऑनलाइन फॉर्म भरने जैसे काम भी करने पड़ रहे हैं। उन्होंने इसे इंसानी क्षमता से ज्यादा का दबाव बताया। ——————————————


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