आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने रिकॉर्ड 65,000 प्रवासियों को हिरासत में रखा है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। आंकड़ों में ये वृद्धि अमेरिका में बिना दस्तावेज़ वाले लोगों पर आक्रामक कार्रवाई के बीच हुई है, जहाँ ICE ने ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर की गिरफ़्तारियों और निष्कासन की रिपोर्ट दी है। एजेंसी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि आईसीई आव्रजन प्रवर्तन के रिकॉर्ड तोड़ रहा है और गिरफ़्तारियों, निर्वासन और हिरासत के नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। मौजूदा प्रशासन के पहले 100 दिनों के दौरान, अकेले ICE ने 65,000 से ज़्यादा आंतरिक गिरफ्तारियाँ करने का दावा किया है, जिनमें 2,200 से ज़्यादा लोग गिरोह गतिविधियों से जुड़े थे। ICE की एक प्रेस विज्ञप्ति में संकेत दिया गया है कि आने वाले हफ़्तों में बंदियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
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होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) के अधिकारियों ने इस बढ़ोतरी का बचाव करते हुए इसे “आपराधिक अवैध विदेशियों” को हटाने और जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा बताया है। लेकिन आलोचक इससे सहमत नहीं हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, आईसीई द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों में से एक बड़े हिस्से का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। आव्रजन अधिवक्ता चेतावनी देते हैं कि बिना दोषसिद्धि वाले लोगों की सामूहिक हिरासत प्रवर्तन प्राथमिकताओं में एक खतरनाक बदलाव का संकेत है। सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ऑस्टिन कोचर ने द गार्जियन को बताया कि हम जानते हैं कि ये सुविधाएँ अत्यधिक भीड़भाड़ वाली हैं… इसका मतलब है कि लोग ज़मीन पर सो रहे हैं, उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा होगा, और लगभग निश्चित रूप से उन्हें पर्याप्त चिकित्सा देखभाल नहीं मिल रही होगी।
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बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए आईसीई की क्षमता में भी तेज़ी से विस्तार हुआ है, और एजेंसी कथित तौर पर अपने बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए सैन्य और नागरिक सहयोगियों के साथ काम कर रही है। डीएचएस के एक प्रवक्ता ने सीबीएस न्यूज़ को बताया कि एजेंसी ने “अधिक भीड़भाड़ से बचते हुए और ज़्यादा आवश्यक हिरासत स्थान प्राप्त करने के लिए लगन से काम किया है क्योंकि वह अपने निष्कासन प्रयासों को तेज़ कर रही है। कानूनी और मानवीय अधिवक्ताओं का तर्क है कि गिरफ़्तारियों की गति और पैमाने से उचित प्रक्रिया के उल्लंघन का ख़तरा है। आईसीई के बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ सकता है और इसके केंद्रों की स्थितियों पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।
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