राष्ट्रीय सेवक संघ शताब्दी वर्ष समारोह के अंतर्गत चलाए जा रहे घर-घर संपर्क अभियान के तहत गोरक्षप्रांत के 40 लाख परिवारों तक पहुंचेगा। 5 नवंबर से शुरू हुआ यह अभियान गोरक्षप्रांत में 30 नवंबर तक चलेगा। अब तक लगभग 25 लाख से अधिक परिवारों तक संघ के स्वयंसेवक पहुंच चुके हैं। संघ के प्रांत, क्षेत्र वअखिल भारतीय स्तर के पदाधिकारी भी लगातार दौरा कर रहे हैं। वे भी लोगों के घरों में जाकर इस अभियान का उद्देश्य बता रहे हैं। गोरक्षप्रांत में प्रशासनिक दृष्टि से 10 जिले आते हैं। इसमें गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलिया, मऊ व आजमगढ़ शामिल हैं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए 16 हजार से अधिक टोलियां बनाई गई हैं। इसमें 55 हजार से अधिक स्वयं सेवक सक्रिय हैं। इस अभियान के तहत पूरे प्रान्त के लगभग 10 हजार 800 गांव व 3200 मोहल्लों में संपर्क करने की योजना है। ये टोलियां बस्ती स्तर पर तैयार की गई हैं। प्रांत प्रचारक रमेश नियमित रूप से इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं। वह सोमवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टण्डन के आवास पहुंचे और उनसे मुलाकात की। उन्हें भारत माता का चित्र, पत्रक व संघ की पत्रिका सौंपी। अब जानिए क्या है अभियान का उद्देश्य
घर-घर जाकर परिवारों से प्रत्यक्ष संवाद करना और संघ के विचार, कार्य, उद्देश्य को समाज के बीच लाना इस अभियान का उद्देश्य है। समाज में सकारात्मकता एवं सांस्कृतिक गौरव का जागरा का संघ कार्य में सहभागिता बढ़ाया एवं संघ के विचार का विस्तार करने के लिए भी यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके जरिए स्वयंसेवक की सक्रियता, संचित शक्ति की सक्रियता, सज्जन शक्ति की सहभागिता, मंडल, टोली, बस्ती की सक्रिय भूमिका बढ़ाने और हर हिन्दू परिसार में संघ विचार पहुंचाने के लिए इस अभियान पर जोर दिया गया है। पंच परिवर्तन के बारे में भी दे रहे जानकारी
घर-घर पहुंचकर स्वयंसेवक पंच परिवर्तन की जानकारी दे रहे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि पंच परिवर्तन से ही समाज का परिवर्तन होगा। इसके तहत समरसता व सद्भावना के बारे में जानकारी दी जा रही है। लोगों को बताया जा रहा है कि समाज की स्वस्थ व सबल स्थिति की पहली शर्त यही है। इसके साथ की पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया जा रहा है। कुटुंब प्रबोधन के जरिए कुटुंब से संस्कार जागरण के बारे में जानकारी दी जा रही है। जिन परिवारों में स्वयं सेवक जा रहे हैं, वहां नागरिक कर्तव्यों की याद भी दिला रहे हैँ। उन्हें बताया जा रहा है कि संस्कारों की अभिव्यक्ति का दूसरा पहलू सामाजिक व्यवहार है। स्व गौरव-स्वदेशी जीवन शैली के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उनसे स्वदेशी वस्तुएं ही खरीदने का आग्रह किया जा रहा है।
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