नालंदा जिले में हाई कोर्ट के आदेश पर 135 घरों को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की कार्रवाई को लेकर तनाव का माहौल बना हुआ है। जिला प्रशासन की ओर से 26 नवंबर को यह कार्रवाई करने की योजना है। विरोध में सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के बैनर तले सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए और जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। मामला रहुई प्रखंड अंतर्गत शिवनंदन नगर का है। भूमिहीनों के हक की लड़ाई प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे सीपीआई जिला परिषद सदस्य अधिवक्ता शिव कुमार यादव (उर्फ सरदार जी) ने कहा कि जिलाधिकारी और रहुई के अंचल अधिकारी द्वारा भूमिहीन गरीबों को जबरन बेघर करने का अवैध नोटिस जारी किया गया है। हम लोग आज जिलाधिकारी को घेराव करने आए हैं। यहां कानून तोड़ने का काम अधिकारी कर रहे हैं, न कि आम आदमी। उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी का आरोप शिव कुमार यादव ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने भूमिहीनों को उजाड़ने के लिए नोटिस जारी किया है, जबकि माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि जब तक पांच बीघा प्रति परिवार के हिसाब से वैकल्पिक जमीन क्लस्टर में उपलब्ध नहीं करा दी जाती, तब तक इस प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकती। बिहार सरकार के भी स्पष्ट आदेश हैं और काउंटर एफिडेविट में भी यह लिखा गया है, लेकिन गरीबों को जान-बूझकर भयभीत करके किसी एक व्यक्ति विशेष को संतुष्ट करने के लिए यह अवैध कार्रवाई की जा रही है। दोहरे मापदंड का मामला सीपीआई नेता ने एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि जिस व्यक्ति की याचिका पर यह कार्रवाई की जा रही है, वह स्वयं उसी प्लॉट में अतिक्रमण किए हुए है, लेकिन उसे अभी तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है। यह साफ तौर पर दोहरे मापदंड का मामला है, जहां गरीबों को निशाना बनाया जा रहा है। जिलाधिकारी से मुलाकात नहीं प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्हें अभी तक जिलाधिकारी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। हम लोग इन्हीं सवालों को लेकर जिलाधिकारी को घेराव करने आए हैं। हम पूछना चाहते हैं कि भूमिहीनों को उजाड़ने का नोटिस किस कानून के तहत दिया गया है।
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