सीतामढ़ी में भगवान श्रीराम और माता जानकी के विवाह की परंपराओं को पुनर्जीवित करने वाला ऐतिहासिक विवाह पंचमी महोत्सव जारी है। रविवार को महोत्सव के चौथे दिन जनकपुरधाम स्थित राम मंदिर परिसर में तिलकोत्सव विधि संपन्न हुई। इस दौरान हजारों श्रद्धालु और भक्त उपस्थित रहे। तिलकोत्सव को विवाह पंचमी महोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा जनक ने भगवान श्रीराम को कन्या सीता का वरण करने से पूर्व दूल्हा पक्ष को तिलक अर्पित किया था। इसी स्मृति में यह परंपरा हर वर्ष अत्यंत उल्लास और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। अंकमाल कर ‘समधी मिलन’ की रस्म पूरी की रविवार को जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत रामरोशन दास वैष्णव ‘पितृपक्ष प्रतिनिधि’ के रूप में पाहुर लेकर राम मंदिर पहुंचे। यहां राम मंदिर के महंत राम गिरी, जो अयोध्या दरबार के प्रतिनिधि माने जाते हैं, ने उनकी अगवानी की। दोनों पक्षों ने पुरातन परंपरा के अनुसार अंकमाल कर ‘समधी मिलन’ की रस्म पूरी की। यह अनुष्ठान दूल्हा और दुल्हन पक्ष के बीच प्रेम, सम्मान और सौहार्द का प्रतीक है। ‘पाहुर भार’ दूल्हा पक्ष के महंत गिरी को सौंपकर परंपराओं को आगे बढ़ाया तिलकोत्सव के दौरान हास-परिहास, गीत-संगीत और मंगलाचरण का अद्भुत संगम देखने को मिला। दुल्हन पक्ष के महंत दास ने परंपरागत ‘पाहुर भार’ दूल्हा पक्ष के महंत गिरी को सौंपकर श्रीराम-जानकी विवाह की परंपराओं को आगे बढ़ाया। इस दौरान भक्तों ने जयकारों और भजन-कीर्तन से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। माता जानकी का मटकोर गंगासागर पोखरी में संपन्न होगा महोत्सव का उत्साह अभी और बढ़ने वाला है। पांचवें दिन सोमवार को माता जानकी का मटकोर गंगासागर पोखरी में संपन्न होगा, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। मंगलवार को विवाह पंचमी के मुख्य दिन श्रीराम-जानकी स्वयंवर तथा रात में जानकी मंदिर में शुभ विवाह कार्यक्रम संपन्न होगा। रामकलेवा की रस्म के साथ विवाह पंचमी महोत्सव औपचारिक रूप से संपन्न होगा वहीं, बुधवार को रामकलेवा की रस्म के साथ इस साल का विवाह पंचमी महोत्सव औपचारिक रूप से संपन्न होगा। जनकपुरधाम इस समय पूरी तरह भक्तिमय रंग में रंगा हुआ है, जहाँ आस्था, परंपरा और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
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