परिवहन विभाग में काम कर रहे 320 प्राइवेट कर्मचारियों को अप्रत्यक्ष रूप से हटाने के आदेश ने पूरे सिस्टम में हलचल मचा दी है। अफसर मान रहे हैं कि अचानक स्टाफ बदलने से ड्राइविंग लाइसेंस का काम बड़ी तरह से प्रभावित होगा। नए कर्मचारियों को ट्रेनिंग और सिस्टम समझने में लंबा समय लगेगा, जिससे पेंडेंसी बढ़ेगी और जनता को परेशानी झेलनी पड़ेगी। निजी एजेंसी पर आरोप के बाद बड़ा कदम लाइसेंस से जुड़े कामकाज का जिम्मा निजी एजेंसी के पास है। अभी स्मार्ट चिप कंपनी के 320 कर्मचारी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में काम देख रहे हैं। ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ प्रशासन संजय तिवारी ने इन कर्मियों पर भ्रष्टाचार और दलालों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए परिवहन आयुक्त किंजल सिंह को हटाने की अनुशंसा की थी। आरोपों की जांच किए बिना आयुक्त ने सेवा प्रदाता कंपनियों को नए सत्यापन और कड़ी शर्तों के साथ पत्र भेज दिया। इन शर्तों को पूरा करना लगभग असंभव माना जा रहा है, जिसके चलते मौजूदा स्टाफ बाहर हो जाएगा और नई भर्ती करनी पड़ेगी। लखनऊ में यह जिम्मेदारी सिल्वर टच कंपनी को दी गई है, जिसे नए कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया और ट्रेनिंग में समय लगेगा। इससे ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े कार्य रुकने की आशंका बढ़ गई है। जिलों के अफसर बोले—लखनऊ की वजह से प्रदेश भर में गड़बड़ी आरटीओ और एआरटीओ स्तर के कई अधिकारी आदेश से नाराज हैं। उनका कहना है कि उनके जिलों में कोई शिकायत नहीं थी—न भ्रष्टाचार की, न दलालों से गठजोड़ की। अधिकारियों के मुताबिक लखनऊ की स्थिति के आधार पर पूरा प्रदेश प्रभावित होगा, जबकि अन्य जिलों में कर्मचारियों का कामकाज बेहतर था। कर्मचारियों ने जताई वसूली की आशंका, मंत्री को भेजा पत्र नौकरी पर संकट झेल रहे कर्मचारियों ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को पत्र भेजकर वसूली की आशंका जताई है। उन्होंने दावा किया है कि दोबारा नौकरी दिलाने के नाम पर फोन कॉल कर पैसे मांगे जा रहे हैं। हालांकि इस बारे में कोई ठोस सबूत या कॉल डिटेल उन्होंने उपलब्ध नहीं कराई है।
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