प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में जब प्रधानमंत्री बने तब से लेकर 5 अगस्त 2019 तक उनको यह ताना सुनने को मिलता रहा कि प्रधानमंत्री और उनके दल के चुनावी एजेंडे तक ही राम मंदिर सीमित है। प्रधानमंत्री आते हैं, बगल से गुजर जाते हैं, अयोध्या में प्रवेश ही नहीं करते। पांच अगस्त 2019 रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आये तो उनके आने का क्रम प्रारंभ हो गया। पीएम मोदी बीते छह साल में वह पांच बार अयोध्या आए और उन्होंने भगवान राम के प्रति अपना अनुराग प्रगट किया और दर्शन-पूजन किया। छह साल में यह उनका छठवां फेरा होगा। उनकी निरंतर अयोध्या यात्राओं के क्रम को देखते हुए तो ये अटकलें 2024 के चुनाव में लगने लगीं थीं कि वह फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव भी लड़ सकते हैं। करोड़ों की योजनाओं की सौगात देकर भी निरंतर अनुराग का प्रदर्शन किया
प्रधानमंत्री केवल आवागमन तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने राम नगरी और भगवान श्री राम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लाखों करोड़ों की योजनाओं की सौगात देकर भी निरंतर प्रदर्शित किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार से एक बार यह लगा था कि अयोध्या के विकास की गति थम जाएगी। इस धारणा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री और भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने अयोध्या के विकास की योजनाओं की स्वीकृति, अनुमोदन और प्रगति में कोई कमी नहीं रखी। रामविवाह के मंगल वातावरण में ध्वजारोहण का यह आयोजन
राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के मुख्य अतिथि वह रहे। अब वह मंदिर की पूर्णता के प्रतीक मुख्य शिखर पर ध्वज स्थापना के समारोह में ध्वजारोहण करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में 25 नवंबर को उपस्थित रहेंगे। रामविवाह के मंगल वातावरण में यह आयोजन इस अवसर को अलग ही रेखांकित करेगा।
1990 में 25 सितंबर को गुजरात के सोमनाथ से प्रारंभ हुई लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथयात्रा के संयोजक के तौर पर नरेंद्र मोदी अयोध्या के लिए प्रस्थान किये थे लेकिन 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर में लालू यादव की सरकार ने इस यात्रा को बिहार में ही रोक लिया। हालांकि बाद में आडवाणी अयोध्या आए जरूर थे, लेकिन नरेंद्र मोदी उनके साथ थे यह पूरे यकीन के साथ कहना कठिन है। फिर भी दूसरी बार वह 18 जनवरी 1991 को भाजपा के कद्दावर नेता थिंक टैंक माने जाने वाले डाक्टर मुरली मनोहर जोशी के साथ 18 जनवरी 1991 को अयोध्या आए थे। तब उन्होंने पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा था कि जब राम मंदिर बनेगा तो फिर आऊंगा। तब ना तो केंद्र में भाजपा के प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने की कोई संभावना दूर-दूर तक दिखाई दे रही थी और ना ही राम मंदिर बनने, उनके मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने की। उनकी तब व्यक्त की गई इच्छा सफलीभूत हुई और उनके ही कार्यकाल में श्रीराम जन्मभूमि विवाद का निर्णय हुआ, मंदिर का दोबारा शिलान्यास, निर्माण, प्राण-प्रतिष्ठा संभव हुई और अब मंदिर पूर्णता को प्राप्त हो गया है, वह भी रिकॉर्ड समय में। 5 अगस्त को पूरे 29 साल, 7 महीने, 13 दिन बाद अयोध्या पहुंचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को पूरे 29 साल, 7 महीने, 13 दिन बाद अयोध्या पहुंचे थे। इससे पहले वह 18 जनवरी 1991 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या आए थे। इसके बाद एक लंबा अंतराल रहा। वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने, और चार बार मुख्यमंत्री बने, कुल 12 साल साढ़े सात महीने इस पद पर रहे, 2014 के लोकसभा चुनावों में फैजाबाद जिले में उन्होंने अयोध्या छावनी क्षेत्र में सभाएं कीं। फिर प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद भी उन्होंने पांच अगस्त 2019 तक वह अयोध्या के निकट तो जरूर आये थे लेकिन राम मंदिर नहीं गये थे। 23 अक्टूबर 2022 को मोदी दीपोत्सव में सम्मिलित होने अयोध्या आए
फिर 2019 के चुनाव में भी यहां सभा की, फिर भी अयोध्या में रामलला के दर्शन ही नहीं किसी भी मठ-मंदिर में दर्शन करने नहीं गए, जबकि दो मई 2019 को उन्होंने अयोध्या जिले के मया बाजार क्षेत्र में सभा की थी। 23 अक्टूबर 2022 को मोदी दीपोत्सव में सम्मिलित होने अयोध्या आए। 5 मई 2024 को एक बार फिर नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में रोड शो करने आए 30 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में हजारों करोड़ की सौगात देने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने रोड शो किया था। इसके बाद 22 जनवरी 2024 को श्रीरामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचे। 5 मई 2024 को एक बार फिर नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के सारथी योगी आदित्यनाथ संग सांसद व भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह के लिए रोड शो करने पहुंचे।
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