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राम ने पिता-मित्र-शत्रु से मर्यादा निभाई, लेकिन सरकार भूली:सामाजिक न्याय यात्रा” में संजय सिंह बोले-देश की सत्ता चार लोगों के हाथ क्यों

आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की “रोजगार दो, सामाजिक न्याय यात्रा” अयोध्या के सरयू तट से शुरू होकर अपने अंतिम पड़ाव प्रयागराज पहुंच गई है। लगभग 170 किलोमीटर की यह पदयात्रा पूरी करने के बाद संजय सिंह ने प्रयागराज में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार मर्यादा पुरुषोत्तम राम की बात तो करती है, लेकिन सत्ता में रहते हुए अपनी मर्यादा भूल गई है। सिंह ने सरकार पर मर्यादाओं का पालन न करने का आरोप लगाया। यह यात्रा प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने और दलित व पिछड़ी जातियों के लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने की मांग को लेकर शुरू की गई है। यात्रा का पहला चरण सोमवार को पूरा हो गया है। इसके बाद यह यात्रा आगे भी सात चरणों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जारी रहेगी। आप सांसद संजय सिंह से पूरी बातचीत अब आइए आपको सवाल जवाब के क्रम में पढ़ाते है…. सवाल: यात्रा अयोध्या से शुरू करने का मकसद क्या था?
जवाब: क्योंकि राम देश प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन चुके है। रामराज्य की असल परिभाषा न्याय और मर्यादा है। भगवान श्रीराम ने पिता, मित्र, शत्रु—हर मर्यादा निभाई। विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार करने से मना किया तो राम ने कहा अगर भाई के धर्म का पालन आप नहीं करेगे तो मै अंतिम संस्कार करूंगा, यह कह कर शत्रु मर्यादा निभाई, रामराज्य वही है जहां प्रजा की सुनी जाए । आज तो प्रजा की भावनाओं का सम्मान ही नहीं है। प्रदेश सरकार के मुखिया बेरोजगारो को रोजगार देने का धर्म नहीं निभा रहे। प्रदेश में एक दलित को पेसाब चटवाई गई। इसलिए सामाजिक न्याय यात्रा लेकर निकले है।
और जहां मैं आज हूं—प्रयागराज—जिसे पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था, उसी विश्वविद्यालय में छात्रों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसीलिए अयोध्या और प्रयागराज दोनों का चयन प्रतीकात्मक है। सवाल: रोज़गार सामाजिक यात्रा को जनता कितना समर्थन दे रही है?
जवाब: बहुत अच्छा समर्थन मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में बेरोज़गारी सबसे बड़ा सवाल है। हर भर्ती का पेपर लीक—सिपाही हो, दरोगा, पीसीएस–जे, भर्ती आती नहीं, और आती है तो सालों-साल रिज़ल्ट नहीं आता। किसान, बुनकर, रेहड़ी–पटरी वाले, महिलाएं—हर वर्ग परेशान है।
यात्रा में चौकीदार, रोजगार सेवक, शिक्षा अनुदेशक, आशा बहुएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री, मनरेगा मजदूर—सब मिले। इनका सीधा सवाल था—“मानदेय नहीं मिलता, जिंदगी कैसे चले?”
सवाल: यात्रा के दौरान लोगों ने आपको क्या अनुभव सुनाए?
जवाब: लोग बहुत प्यार से मिले। उन्होने कहा —“आप सही मुद्दा उठा रहे हैं, इसे छोड़िएगा नहीं।”
एक आवाज़ सबकी थी—“लड़ाई जारी रहनी चाहिए।”
सवाल: आप इस लड़ाई को चार बनाम 144 करोड़ लोगों की क्यो कह रहे है?
जवाब: इस सरकार में दूसरा बड़ा मुद्दा सामाजिक भेदभाव का सामने आया। भेदभाव से कोई न परिवार आगे बढ़ सकता, न गांव, न शहर और न देश। लेकिन डबल इंजन सरकार नफरत पर राज्य बना रही है। अब यह लड़ाई चार बनाम 144 करोड़ की है, मोदी, अमित शाह, अडानी, अंबानी एक तरफ और पूरे देश की जनता दूसरी तरफ। क्या चार लोगों के हाथ में देश की पूरी सत्ता होनी चाहिए? यही बड़ा सवाल है।
सवाल: यात्रा असमानता और दलित–पिछड़ा–अल्पसंख्यक भेदभाव को भी उठाती है?
जवाब: हाँ, बिल्कुल। यात्रा उन सभी के लिए है जो असमानता का बोझ उठा रहे हैं।
दलित, पिछड़े, मुसलमान—सभी भेदभाव का सामना कर रहे हैं। इससे लड़ना जरूरी है।
सवाल: प्रयागराज में नौकरी को लेकर कई आंदोलन हुए, पर नतीजा शून्य रहा। क्यों?
जवाब: क्योंकि ऐसे आंदोलन तात्कालिक होते हैं। मुद्दा आया—आंदोलन हुआ—फिर शांत। लेकिन रोज़गार की लड़ाई निरंतर जनजागरूकता मांगती है। गांव–गांव लोग सरकार से सवाल पूछेंगे तभी असर पड़ेगा।
सवाल: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माघ मेले का भूमि पूजन किया है। पुलों को भगवा रंग में रंगा जा रहा है—आपकी प्रतिक्रिया?
जवाब: समाज का इससे क्या भला? कांवड़ यात्रा के समय कितने ढाबे–दुकानें तोड़ी गईं।
धर्म हमें क्या सिखाता है? क्या भगवान राम ऐसा कहते हैं? क्या महादेव सिखाते हैं कि नफरत फैलाओ? हिंदू धर्म कहता है—विश्व का कल्याण हो। लेकिन धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल स्वीकार नहीं। धर्म को भावनाओं को बांटने का ज़रिया बनाना गलत है।


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