नालंदा के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है सुगंधित पौधों की खेती योजना। जिले की बंजर और ऊसर भूमि, जो वर्षों से नीलगाय और जंगली सूअरों के आतंक से त्रस्त रही है, अब लेमन ग्रास की खुशबू से महकेगी। पहली बार जिले को इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया गया है। योजना की मुख्य बातें राज्य सरकार ने सुगंधित और औषधीय पौधों के क्षेत्र विस्तार के तहत इस वर्ष 10 हेक्टेयर क्षेत्र में लेमन ग्रास की खेती का लक्ष्य रखा है। इच्छुक किसानों को प्रति हेक्टेयर 75 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा, जो कुल लागत का 50 प्रतिशत है। उद्यान विभाग स्वयं उन्नत प्रभेद के पौधे उपलब्ध कराएगा। जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि यह पहली बार है जब नालंदा को इस योजना में चुना गया है। किसान अपनी बंजर भूमि का सदुपयोग कर सकेंगे और बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे। बंजर भूमि के लिए वरदान गिरियक, कतरीसराय और सकरी नदी के किनारे के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ऊसर भूमि है। इन इलाकों में नीलगाय और जंगली सूअरों के कारण किसान परंपरागत खेती करने में असमर्थ रहे हैं। लेमन ग्रास की खेती इस समस्या का सटीक समाधान है क्योंकि इसके औषधीय गुणों के कारण जानवर इसे नहीं खाते। आर्थिक लाभ की संभावनाएं लेमनग्रास की खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से बेहद लाभदायक साबित हो सकती है। पौधे रोपण के छह महीने बाद पत्तियां तैयार हो जाती हैं और साल में तीन बार कटाई की जा सकती है। एक बार रोपण के बाद पांच वर्षों तक फसल ली जा सकती है। लेमनग्रास के तेल की बाजार में कीमत 1200 से 1500 रुपए प्रति लीटर है। इस तेल का उपयोग दवाइयों, साबुन, शैंपू, इत्र और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में होता है। बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। विशेष सुविधाएं सरकार ने तेल निकालने के लिए आसवन संयंत्र (डिस्टिलेशन यूनिट) स्थापित करने का भी प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा है। इससे किसानों को उत्पाद बेचने में आसानी होगी और वे बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। आवेदन प्रक्रिया इच्छुक किसान उद्यान विभाग के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ जमीन की रसीद या एलपीसी, आधार कार्ड, पहचान पत्र और बैंक पासबुक की जानकारी देनी होगी। जल्द ही आवेदन के लिए पोर्टल खोला जाएगा।
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