गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहादत शताब्दी पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। इस अवसर पर 23 से 25 नवंबर तक देश-विदेश में शहीदी समागम आयोजित किए जा रहे हैं। उनकी तपोस्थली संगम नगरी प्रयागराज में भी गुरुद्वारा पक्की संगत अहियापुर में भव्य समागम शुरू हो गया है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत रविवार को गुरुद्वारा पक्की संगत अहियापुर से निकाले गए नगर कीर्तन और शोभायात्रा से हुई। पंच प्यारों और गुरु ग्रंथ साहिब की अगुवाई में यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरी, जिससे वातावरण श्रद्धा और भक्ति से भर गया। इसमें देश-विदेश से आए रागी जत्थों और कथा वाचकों ने कीर्तन प्रस्तुत किए। बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक, संगत और श्रद्धालु शोभायात्रा में शामिल हुए। शाम को यह यात्रा वापस गुरुद्वारे पहुंचकर संपन्न हुई। कार्यक्रमों के क्रम में, 24 नवंबर को शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक गुरुद्वारे में विशेष कीर्तन दरबार और कथा का आयोजन होगा। इस दौरान रागी जत्थे गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी का रसपान कराएंगे। 25 नवंबर को तीसरे और अंतिम दिन भी दिनभर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन, उनके इतिहास और मानवता की रक्षा के लिए दिए गए उनके बलिदान पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए रक्तदान शिविर और हेल्थ कैंप का भी आयोजन होगा, जिसके बाद गुरु का अटूट लंगर सभी के लिए खुलेगा। इतिहास के अनुसार, गुरु तेग बहादुर जी का प्रयागराज से विशेष संबंध रहा है। उन्होंने यहां परिवार सहित 6 माह 9 दिन तक तपस्या की थी। माना जाता है कि यहीं माता गुजरी जी के गर्भ में गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश हुआ था। मानवता और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के कारण उन्हें “हिंद की चादर” की उपाधि दी गई।
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