गोरखपुर एयरपोर्ट पर लैंडिंग की समस्या आने पर अब फ्लाइट को वाराणसी या लखनऊ भेजने की मजबूरी खत्म हो गई है। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ILS (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) और DVOR (डॉपलर वेरी ओमनी रेंज) सिस्टम इंस्टॉल होने के बाद एयरलाइंस को नजदीकी, सुरक्षित और तेज विकल्प मिल गया है। इससे उड़ान संचालन आसान होगा और यात्रियों को लंबी दूरी की परेशानी से राहत मिलेगी। दरअसल, कुशीनगर एयरपोर्ट अब तकनीकी रूप से इतना सक्षम हो गया है कि वह किसी भी समय-शेड्यूल या अनशेड्यूल-फ्लाइट की लैंडिंग संभाल सकता है। DVOR सिस्टम सक्रिय होने से कुशीनगर का अपना एयर रूट तैयार हो गया है। पायलट उड़ान के दौरान एयरपोर्ट को सीधे लोकेट कर सकेंगे और कंट्रोल रूम से तुरंत गाइडेंस ले पाएंगे। यह सुविधा खासकर तब उपयोगी होगी जब मौसम खराब हो या गोरखपुर रनवे पर कोई तकनीकी दिक्कत आ जाए। अब कुछ ही मिनट में होगी वैकल्पिक लैंडिंग
पहले गोरखपुर एयरपोर्ट पर लैंडिंग न हो पाने पर फ्लाइट को वाराणसी या लखनऊ भेजना पड़ता था। इसमें समय भी ज्यादा लगता था और यात्रियों को वापस गोरखपुर पहुंचने में अतिरिक्त सफर करना पड़ता था। अब कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट नजदीकी विकल्प के रूप में उपलब्ध होने से फ्लाइट ऑपरेशन सुचारू होंगे और यात्रियों का समय भी बचेगा। एयरलाइन कंपनियों को भी डायवर्जन की स्थिति में प्लानिंग आसान होगी। कुशीनगर एयरपोर्ट पूरी तरह तैयार
पहले कुशीनगर में DVOR सिस्टम नहीं था और इसे गोरखपुर से लिंक कर चलाया जा रहा था। अब एयरपोर्ट पर अपना सिस्टम इंस्टॉल हो चुका है। ILS का सिविल वर्क पूरा हो गया है और उपकरण लगाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ILS शुरू होने के बाद कम विजिबिलिटी में भी विमान सुरक्षित रूप से उतारे जा सकेंगे। इससे कुशीनगर एयरपोर्ट पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए मजबूत वैकल्पिक और आपात लैंडिंग हब के रूप में विकसित होगा। यात्रियों- एयरलाइंस दोनों को होगा फायदा
तकनीकी अपग्रेड से एयरलाइंस को भरोसेमंद विकल्प मिलेगा, जबकि यात्रियों को डायवर्जन के दौरान समय और खर्च-दोनों में राहत मिलेगी। अधिकारियों का मानना है कि इस फैसले से पूर्वांचल की हवाई सेवाएं और मजबूत होंगी, और आने वाले समय में कुशीनगर एयरपोर्ट क्षेत्र की बड़ी जरूरतों को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
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