संभल जिला उपभोक्ता आयोग ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। आयोग ने कंपनी को चंदौसी निवासी नीलम वार्ष्णेय को उनके पति के इलाज पर खर्च हुए 20 लाख रुपए ब्याज सहित चुकाने का निर्देश दिया है। यह राशि दो महीने के भीतर अदा करनी होगी। नीलम वार्ष्णेय के पति सुधीर कुमार वार्ष्णेय ने वर्ष 2017 में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से अपने और परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी थी। इस पॉलिसी का नियमानुसार नवीनीकरण होता रहा। सितंबर 2024 में सुधीर वार्ष्णेय लीवर संक्रमण से पीड़ित हो गए। उनका इलाज मुरादाबाद और दिल्ली के अस्पतालों में चला, जिस पर भारी खर्च आया। इलाज के दौरान ही सुधीर वार्ष्णेय का निधन हो गया। इलाज के खर्च की भरपाई के लिए जब बीमा कंपनी से संपर्क किया गया, तो कंपनी ने इसे पुरानी बीमारी बताते हुए बीमा राशि देने से इनकार कर दिया। इसके बाद, पत्नी नीलम वार्ष्णेय ने उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता लवमोहन वार्ष्णेय से संपर्क किया और उनकी ओर से संभल जिला उपभोक्ता आयोग में एक परिवाद दर्ज कराया। आयोग ने बीमा कंपनी को तलब किया, जहां कंपनी ने अपने पूर्व के रुख को दोहराया। अधिवक्ता लवमोहन वार्ष्णेय ने इसका विरोध करते हुए आयोग को बताया कि बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार कैशलेस सुविधा न देना कंपनी की सेवा में कमी दर्शाता है। उन्होंने तर्क दिया कि 2017 में खरीदी गई पॉलिसी के तीन साल बाद बीमा कंपनी पुरानी बीमारी का हवाला देकर इलाज पर खर्च हुए 20,44,751 रुपए देने से बच नहीं सकती। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आयोग ने परिवाद को स्वीकार कर लिया। आयोग ने आदेश दिया कि कंपनी नीलम वार्ष्णेय को उनके पति के इलाज में व्यय की गई ₹20 लाख की धनराशि, परिवाद दायर करने की तिथि से 7% वार्षिक ब्याज के साथ, दो महीने के भीतर अदा करे। इसके अतिरिक्त, कंपनी को परिवादी को आर्थिक हानि और मानसिक कष्ट के लिए ₹20,000 तथा वाद व्यय के रूप में ₹5,000 भी देने होंगे। यदि निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है, तो ब्याज दर 9%वार्षिक हो जाएगी।
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