एक रिपोर्ट में बिहार के कई जिलों में स्तनपान कराने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम (U238) के खतरनाक स्तर पाया गया है। जिससे उनके बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी कई गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं। कई संस्थानों के शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्तन के दूध के माध्यम से यूरेनियम का संपर्क शिशुओं के लिए गंभीर गैर-कैंसर कारी सेहत जोखिम पैदा कर सकता है। यह रिपोर्ट पटना के महावीर कैंसर संस्थान की ओर से डॉ .अरुण कुमार और प्रो . अशोक घोष की अगुआई में किया गया ,जिसमें एम्स, नई दिल्ली के बायो कैमिस्ट्री विभाग से डॉ . अशोक शर्मा की टीम भी शामिल थी। एम्स दिल्ली के डॉ. अशोक शर्मा, जो अध्ययन के सह-लेखक हैं। उन्होंने बताया कि, अध्ययन में 40 स्तनपान कराने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क का विश्लेषण किया गया और सभी नमूनों में यूरेनियम (U-238) पाया गया। खगड़िया में यूरेनियम का स्तर सबसे ज्यादा खगड़िया में औसत स्तर सबसे अधिक पाया गया है। वहीं नालंदा में सबसे कम और कटिहार में एकल-नमूने में सबसे अधिक मात्रा पाई गई।हालांकि यूरेनियम के संपर्क में आने से बिगड़ा हुआ तंत्रिका संबंधी विकास और कम आईक्यू जैसे जोखिम हो सकते हैं, स्तनपान बंद नहीं किया जाना चाहिए और जब तक चिकित्सकीय रूप से संकेत न दिया जाए, यह शिशु पोषण का सबसे लाभकारी स्रोत बना रहता है।” 6 जिलों में किया गया रिसर्च अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच किए गए इस रिसर्च में भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया , कटिहार और नालंदा की 17 से 35 वर्ष आयु की 40 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क के नमूनों का विश्लेषण किया गया। सभी नमूनों में यूरेयूरेनियम (U-238) पाया गया , जिसकी मात्रा 0 से 5.25 g/L के बीच दर्ज की गई। कैंसर का बढ़ सकता है खतरा एम्स के को -ऑथर डॉ . अशोक शर्मा ने कहा कि यूरेनियम का स्रोत अभी स्पष्ट नहीं है। बिहार में पेयजल और सिंचाई के लिए भूजल पर अत्यधिक निर्भरता , बिना ट्रीटमेंट वाले औद्योगिक अपशिष्टों का निपटारा और लंबे समय से रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग ने पहले ही आर्सेनिक, लेड और मरकरी जैसी धातुओं का स्तर बढ़ा दिया है। यूरेनियम किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। न्यूरोलॉजिकल समस्या भी होती है। डॉक्टरों के मुताबिक आगे चलकर कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है। बिहार की माताओं के ब्रेस्ट मिल्क में मिल चुका है लेड इससे पहले एक शोध में बिहार की महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में लेड की भी मात्रा मिली थी। गंगा के तटीय इलाकों वाले 6 जिले समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, नालंदा में ब्रेस्ट मिल्क में लेड (शीशा) पाया गया है। महावीर कैंसर संस्थान के रिचर्स डिपार्टमेंट ने इसका खुलासा किया था। एक्सपर्ट का मानना था कि ये नवजात के मेंटल ग्रोथ के लिए खतरनाक है। डिपार्टमेंट के प्रभारी प्रोफेसर अशोक कुमार घोष ने बताया था कि, ‘गंगा किनारे के जिलों में पानी पर रिसर्च किया गया था। जिसमें यह पाया गया था कि पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। इसके बाद टीम ने मदर मिल्क पर रिसर्च किया। जिसमें मां के दूध में आर्सेनिक के साथ-साथ लेड की मात्रा भी पाई गई, जो बच्चों के लिए काफी घातक है। —————- ये खबर भी पढ़ें रिसर्च में खुलासा- नवजात के लिए मां का दूध खतरनाक:गंगा से सटे 6 जिलों के पानी में लेड-आर्सेनिक; एक्सपर्ट बोले-मेंटल ग्रोथ पर पड़ता है असर बिहार के 6 जिलों में नवजात शिशु के लिए मां का दूध जहरीला हो गया है। गंगा के तटीय इलाकों वाले 6 जिले समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, नालंदा में ब्रेस्ट मिल्क में लेड (शीशा) पाया गया है। महावीर कैंसर संस्थान के रिचर्स डिपार्टमेंट ने इसका खुलासा किया है। एक्सपर्ट का मानना है कि ये नवजात के मेंटल ग्रोथ के लिए खतरनाक है। पूरी खबर पढ़ें
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