झारखंड के गिरिडीह जिले के जंगलों से भटककर लगभग 20 हाथियों का एक झुंड गुरुवार देर रात बिहार की सीमा में प्रवेश कर गया। यह समूह सबसे पहले चकाई प्रखंड के गगनपुर जंगल में पहुंचा। शुक्रवार को यह झुंड आगे बढ़ते हुए सोनो प्रखंड के बटिया के जंगल में डेरा डाल दिया। वर्तमान में सभी हाथी बटिया के घने जंगल क्षेत्र में मौजूद हैं और धीरे-धीरे गिरिडीह के जंगलों की ओर लौट रहे हैं। डीएफओ तेजस्व जायसवाल ने बताया कि यह झुंड झारखंड के गिरिडीह जंगल से भटककर बिहार में आया है। उनकी टीम हाथियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या जान-माल की क्षति को रोका जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन विभाग की टीम पूरी तरह अलर्ट पर है और उनका प्राथमिक लक्ष्य हाथियों को सुरक्षित रूप से उनके प्राकृतिक अधिवास,यानी गिरिडीह के जंगल में वापस पहुंचाना है। किसानों को मिलेगा मुआवजा डीएफओ ने यह भी बताया कि कुछ स्थानों से फसल क्षति की सूचना मिली है, जिसकी जांच कराई जाएगी। वन्यजीव संरक्षण नियमों के अनुसार,प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। जायसवाल ने बताया कि जमुई जिला हाथियों के प्राकृतिक अधिवास में शामिल नहीं है, लेकिन बटिया घाटी एक पुराने एलिफेंट कॉरिडोर का हिस्सा रही है।इसी कारण झारखंड के जंगलों से भटके हुए हाथियों का आगमन यहां होता रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी हाथियों के झुंड यहां आए और बिना किसी जान-माल या हाथी को नुकसान पहुंचाए सुरक्षित वापस लौट गए। हाथी के लिए बनाई जाती है ‘बैरियर लाइन’ हाथियों को नियंत्रित कर सही दिशा में ले जाने की तकनीक के बारे में डीएफओ ने बताया कि स्थानीय भाषा में इसे “हांकना” कहा जाता है। इसके तहत एक प्रकार की ‘बैरियर लाइन’ बनाई जाती है, जिसे हाथी पार नहीं करते। वन विभाग की टीम रात में मशाल,पटाखे और अन्य सुरक्षित तकनीकों का उपयोग कर हाथियों को उसी दिशा में मोड़ती है जिस ओर उन्हें ले जाना होता है। इससे हाथी भ्रमित नहीं होते और धीरे-धीरे अपने प्राकृतिक आवास की ओर बढ़ जाते हैं। वन विभाग का कहना है कि पूरे झुंड को बिना किसी नुकसान के गिरिडीह जंगल तक पहुंचाने का प्रयास लगातार जारी है।
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