बलरामपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने दो आरक्षियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। ये आरक्षी ध्रुप चन्द्र और राजू यादव पूर्व में थाना कोतवाली जरवा में तैनात थे। उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। दोनों सिपाहियों के खिलाफ 4 सितंबर 2023 को मुकदमा अपराध संख्या 82/23, धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, गोरखपुर की अदालत ने 21 जनवरी 2025 को उन्हें दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। अदालत के फैसले के बाद, पुलिस अधीक्षक ने 22 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के दंड एवं अपील नियमावली के तहत विभागीय कार्रवाई पूरी की। एसपी ने स्पष्ट किया कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार एक अक्षम्य अपराध है और ऐसे मामलों में कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। यह पूरा मामला ललिया थाना क्षेत्र के कोडरी निवासी हकीम खान की शिकायत से जुड़ा है। हकीम खान ने बताया था कि 1 सितंबर को वह अपने दो दोस्तों के साथ नेपाल सीमा स्थित कोयलावास घूमने जा रहे थे। एसएसबी द्वारा सीमा में प्रवेश न दिए जाने पर वे वापस लौट रहे थे। इसी दौरान जरवा थाने के दोनों सिपाहियों ने उन्हें रोक लिया। आरोप है कि सिपाहियों ने उन्हें पांच घंटे तक थाने के बाहर बिठाए रखा और फिर जबरन 28,000 रुपये की अवैध वसूली की। शिकायत मिलने पर तत्कालीन एसपी केशव कुमार ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने एएसपी को जांच सौंपी, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद दोनों सिपाहियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए और 6 सितंबर को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इस घटना से उस समय पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था। बर्खास्तगी आदेश जारी करते हुए एसपी ने दोहराया कि भ्रष्टाचार, पद का दुरुपयोग या अवांछित गतिविधियों में लिप्त किसी भी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने भविष्य में ऐसी सभी घटनाओं पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात कही।
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