कर्नाटक का धर्मस्थला। दक्षिण कन्नड़ जिले में 12 हजार की आबादी वाला छोटा सा कस्बा। यहां एंट्री करते ही भगवान मंजूनाथ (मोक्ष के देवता भगवान शिव) के प्रति दृढ़ आस्था का एहसास होने लगेगा। 800 साल पुराना भगवान मंजूनाथ का मंदिर जितना पौराणिक है, इससे जुड़े किस्से बीते 25 साल से उतनी ही रहस्यमयी बने हुए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि 2001 से अब तक यहां 989 अप्राकृतिक मौतें हुईं हैं। जो मौतें मंदिर परिसर और उसके आसपास हुईं, उनमें पुलिस ने असली पता न लिखकर आसपास के गांवों के पते लिखे। किसी भी मृतक के परिजन ने मौत पर कभी सवाल नहीं उठाए, इसलिए बिना जांच केस बंद हो गए। आज तक कोई अपराधी नहीं निकला। आखिर ये मौतें क्यों हुईं, इसकी पड़ताल के लिए जब भास्कर टीम बेंगलुरु से 300 किमी पश्चिम में बसे धर्मस्थला पहुंची, तो ‘मर्डर और मोक्ष’ की थ्योरी सुनने को मिलीं। दक्षिण की काशी कहलाता है धर्मस्थला स्थानीय लोगों ने बताया कि धर्मस्थला दक्षिण का काशी है। इसलिए श्रद्धालु मोक्ष के लिए यहां आते हैं। अधिकतर मौतें मंदिर परिसर, मंदिर गेट, बाहुबली मूर्ति के पास, मंदिर के बाहर और नेत्रवती नदी में हुई हैं। इसी नदी पर बने लगेज रूम के इंचार्ज डी. सुरेश कहते हैं कि करीब 15 दिन पहले ही मैंने एक आदमी को बचाया, जो जहर खाकर नदी में कूदने जा रहा था। मोक्ष के दावे की पड़ताल के दौरान एक्सपर्ट कमेटी टू रिपोर्ट एंड रेगुलेट एक्सप्लॉयटेशन की अध्यक्ष ज्योति ए. ने बताया कि 2016 में एएसपी रहे राहुल कुमार ने भी यही दावा किया था। उस वक्त कर्नाटक में महिलाओं, बच्चों के गायब होने, दुष्कर्म, हत्या के कारण जानने और निवारण के लिए बनी वीएस उग्रप्पा कमेटी के 40 सदस्यों के सामने तत्कालीन जांच अधिकारी राहुल ने बताया था कि धर्मस्थला में हर साल 100 से ज्यादा लोग मोक्ष के लिए आत्महत्या कर रहे हैं। तब इस बयान पर जांच कभी आगे नहीं बढ़ी। मई 2025 में मंदिर के सफाई कर्मचारी सीएन चिन्नय्या ने बयान दिया कि उसने धर्मस्थला क्षेत्र में सैकड़ों लोगों को दफन किया। बाद में एसआईटी जांच के बाद कोर्ट में चिन्नय्या बयान से मुकर गया। RTI में पुलिस ने कबूली 640 मौतें, लेकिन मरने वालों का पता नहीं बताया मौतों का राज जानने के लिए जून में सामाजिक कार्यकर्ता तनुष एम शेट्टी ने आरटीआई लगाई और धर्मस्थला, मंजूनाथ मंदिर और नजदीक के गांवों में जनवरी 2015 से सितंबर 2025 तक हुई अप्राकृतिक मौतों की जानकारी मांगी तो जवाब में पुलिस ने 640 मौतें होना बताया। लेकिन, किसी भी मृतक का पता नहीं दिया। तनुष ने भास्कर को बताया कि मंदिर परिसर में बने लॉजों में जो मौतें हुईं, उनके पते नहीं दिए गए, जबकि यहां रुकने से पहले आधार या पहचान पत्र दिखना जरूरी है। इनमें दर्ज पता पुलिस यदि लिखती तो मृतकों के परिजन की पहचान हो पाती। नागरिका सेवा ट्रस्ट ने भी आरटीआई लगाकर 2001 से 2012 के बीच हुई मौतों की जानकारी बेलतंगड़ी थाने से मांगी थी, तब पुलिस ने 349 आत्महत्याएं बताईं। जबकि इसके बगल में बसे 17 हजार की आबादी वाले गांव उज्रे में इसी दौरान महज 84 आत्महत्या दर्ज हुई थीं। आरोप- रहस्य को अंधविश्वास में ढंकने की कोशिश ट्रस्ट से जुड़े सोमनाथ नायक आरोप लगाते हैं कि पुलिस धर्मस्थला के असल अपराधियों को दशकों से बचा रही है। फेडरेशन ऑफ रेशनलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र नायक मोक्ष पर संदेह जताते हैं। उन्होंने बताया कि इतनी छोटी सी जगह में जिस तरह से इतने लोगों की मौतें हुईं हैं, उसके पीछे के रहस्य को अंधविश्वास में ढंकने की कोशिश दशकों से हो रही है। मंदिर के धर्माधिकारी और प्रबंधन पर जमीन हड़पने और समूह लोन के बहाने करोड़ों की धोखाधड़ी के खेल को लेकर तो ये मौतें नहीं हो रहीं? यह जांच का विषय है। इस समूह में कर्नाटक के 52 लाख लोग जुड़े हैं।
इन आरोपों पर मंदिर धर्माधिकारी व राज्यसभा सांसद वीरेंद्र हेगड़े से भास्कर ने कई बार संपर्क किया। मैसेज किए, पर उन्होंने जवाब नहीं दिया। किसी मौत की शिकायत न होना हैरान करता है… धर्मस्थला में इतनी मौतें हो चुकी हैं, लेकिन कभी कोई शिकायत दर्ज कराने नहीं आया। मैं और सोमनाथ नायक 1988 से कोर्ट के आदेशों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के खिलाफ हमनें कई शिकायतें कीं। कार्रवाई तो नहीं हुई, उल्टे सोमनाथ के 3 महीने जेल में बीते। 2013 में तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार ने वीरेंद्र के ट्रस्ट और गतिविधियों के खिलाफ जांच को कहा था, लेकिन कुछ नहीं हुआ? आज वही सरकार सत्ता में है।- रंजन राव, मुख्य ट्रस्टी, नागरिका सेवा ट्रस्ट, बेलथंगड़ी पुलिस का दावा- मंदिर में मोक्ष मिलने की मान्यता, इसलिए मौतें ज्यादा पुलिस औपचारिक रूप से नहीं, लेकिन मोक्ष की कहानी का समर्थन करती है। इनकी जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कर्ज में डूबा, परेशान व्यक्ति आत्महत्या करने आता है। यहां भगवान का बहुत प्रताप है, इसलिए लोगों को लगता है कि भगवान माफ करेंगे। परिवार भी झंझट में नहीं पड़ेगा। बेलथंगड़ी थाने के एक पुलिस अफसर ने बताया कि कई प्रेमी-प्रेमिका इसलिए मरने आते हैं, ताकि अगले जन्म में साथ रहने का आशीर्वाद भगवान से मिल जाए। बुजुर्ग इसे दक्षिण की काशी मानते हैं, इसलिए मंजूनाथ की शरण में आकर मोक्ष पा रहे हैं। हम इसे साबित नहीं कर पाएंगे, लेकिन इतनी मौतों की जांच मोक्ष की थ्योरी पर ही आकर रुक जाती है।
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