एलयूसीसी घोटाले के मुख्य आरोपी रवि तिवारी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से जमानत मिल गई है। रविवार को जेल अधीक्षक शिव मूरत सिंह बताया कि बृहस्पतिवार को उसे जिला कारागार से रिहा कर दिया गया। रवि तिवारी करोड़ों रुपये के घोटाले और गैंगस्टर मामले में आरोपी है। पुलिस ने रवि तिवारी को अगस्त 2024 में गिरफ्तार किया था। वह उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों में एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी बनाकर हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड और 35 हजार रुपये का इनामी आरोपी था। गिरफ्तारी के बाद से वह जिला कारागार में बंद था। उसकी गिरफ्तारी के समय, पुलिस ने आरोपी के कब्जे से दो करोड़ रुपये से अधिक की महंगी गाड़ियां, जिनमें मर्सिडीज, फॉर्च्यूनर और हुंडई अल्काजार शामिल थीं, बरामद की थीं। इसके अतिरिक्त, कंपनी से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए गए थे। जांच में खुलासा हुआ कि रवि तिवारी ने जगत सिंह, आलोक जैन और अन्य के साथ मिलकर एक संगठित गिरोह बनाया था। इस गिरोह ने एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी के जरिए हजारों लोगों को ठगा। आरोपी फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों का पैसा हड़प लेते थे और पैसा मांगने पर उन्हें धमकाते थे। यह चिटफंड घोटाला हाईकोर्ट तक भी पहुंचा था। कई मामलों में हाईकोर्ट ने आरोपियों के रिमांड निरस्त कर दिए थे, जिसके बाद स्थानीय न्यायाधीश के आदेश पर आरोपियों को निजी मुचलके पर रिहा किया गया था। इस घोटाले से अर्जित करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति आरोपियों के पास पाई गई थी। इसके बाद सभी 10 आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी किए गए। सीओ के नेतृत्व में पुलिस बल ने गैंगस्टर के आरोपी और एलयूसीसी के डायरेक्टर जितेंद्र सिंह निरंजन, मुख्य संचालक रवि तिवारी सहित सभी 10 आरोपियों की लगभग 8.40 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क की। कुर्क की गई संपत्तियों में मकान, गाड़ियां, जमीन और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स शामिल हैं।
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