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ब्रिटिश मौलाना मामले में शासन की बड़ी कार्रवाई:इंग्लैंड की नागरिकता के बाद भी वेतन-वीआरएस लाभ के मामले में 4 अधिकारी निलंबित

संतकबीरनगर जिले के ब्रिटिश मौलाना शमसुल हुदा खान से जुड़े मामले में शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। ब्रिटिश नागरिकता लेने के बाद भी अवैध रूप से वेतन और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लाभ लेने के आरोप में चार अधिकारियों को निलंबित किया गया है। मौलाना का पाकिस्तान से भी कनेक्शन है। निलंबित होने वालों में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक एसएन पांडेय, आजमगढ़ के तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (डीएमओ) साहित्य निकष सिंह, लालमन और प्रभात कुमार शामिल हैं। साहित्य निकष सिंह वर्तमान में गाजियाबाद, लालमन बरेली और प्रभात कुमार अमेठी में डीएमओ के पद पर तैनात थे। आजमगढ़ के मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत मदरसा अशरफिया मिस्बाहुल उलूम के शिक्षक शमसुल हुदा खान ने 19 दिसंबर 2013 को ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी। इसके बावजूद, प्रबंधक, प्रधानाचार्य और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से वह 31 जुलाई 2017 तक अनियमित रूप से वेतन प्राप्त करता रहा। उसने अनियमित चिकित्सा अवकाश भी स्वीकृत कराए और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद जीपीएफ व पेंशन जैसे लाभ भी लिए। मौलाना ने इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए कई विदेश यात्राएं कीं। वह पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों में जाकर वहां के मौलवियों और लोगों से संपर्क स्थापित करता था। भारत लौटने पर उसने अपने करीबियों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं और संदिग्ध व्यक्तियों से संबंध बनाए। यूपी एटीएस का मानना है कि यह नेटवर्क इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का प्रयास था। उसकी विदेशी फंडिंग के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। शमसुल हुदा खान खलीलाबाद में ‘कुलियातुल बनातिर रजबिया’ नाम से एक गर्ल्स मदरसा भी चला रहा था। वर्ष 2024 में जब इस मदरसे को सील कर दिया गया, तो उसने उसी मदरसे की बाउंड्री से सटे उसी नाम से दूसरा मदरसा चलाना शुरू कर दिया। इसके अतिरिक्त, वह एक मकान में लड़कियों का छात्रावास भी चलाता था, जिसमें जिले के साथ ही अन्य जनपदों और प्रांतों की लड़कियों को रखा जाता था। 3 नवंबर को उसके दूसरे मदरसे को भी सील कर दिया गया। वर्तमान में, विशेष जांच दल (एसआईटी) इस पूरे प्रकरण की गहन जांच कर रहा है जानिए पूरा मामला
मौलाना को 2013 में मिल गई ब्रिटिश नागरिकता,मौलाना शमसुल हुदा खान 12 जुलाई 1984 को आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित मदरसा में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त हुआ था। 2007 में वह ब्रिटेन चला गया और 2017 तक वहां रहा। 2013 को उसे ब्रिटिश नागरिकता मिल गई। वह मदरसे में बगैर पढ़ाए हर साल वेतन लेता रहा। आरोप है कि उसने सरकारी कोष से 16 लाख से ज्यादा रुपये सैलरी अवैध रूप से ले ली। 2017 में उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई। 2007 से संदिग्ध थीं गतिविधियां एटीएस को जांच में पता चला कि शमशुल हुदा खान मदरसा में नौकरी के दौरान बार-बार विदेश यात्राएं करता रहा। मौलाना की गतिविधियां 2007 से ही संदिग्ध थीं। वह ब्रिटेन में रहते हुए भी भारत में अपने नेटवर्क को सक्रिय रखे हुए था। यही नहीं उसका पाकिस्तान भी आना जाना लगा रहा। वह प्रतिबंधित संगठन दावते इस्लाम भी चलाता था। मौलाना पर दर्ज हैं कुल तीन केस
​​​​​​​मौलाना के खिलाफ संतकबीरनगर और आजमगढ़ में पहले से दो अन्य अभियोग दर्ज हैं, जिनमें आरोप-पत्र कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है। इनमें भी विदेशी फंडिंग और संदिग्ध संपर्कों के आरोप प्रमुख हैं। वहीं कोतवाली खलीलााबाद में 2 नवंबर को धोखाधड़ी, विदेशी मुद्रा अधिनियम का दुरुपयोग तथा अन्य मामलों में केस दर्ज किया गया है।


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