सबसे पहले ये बयान पढ़िए… 19 नवंबर को नीतीश कुमार ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी। बैठक में उन्होंने अपने विधायकों से कहा था कि फिलहाल कम मंत्री बना रहे हैं। 14 जनवरी (मकर संक्रांति) के बाद और लोगों को भी जगह देंगे। परेशान नहीं होना है। मतलब नीतीश कुमार की नई सरकार में जल्द एक्सटेंशन होगा। 20 नवंबर को गांधी मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में पिछली सरकार की 32 मंत्रियों के कैबिनेट को घटाकर 26 कर दिया गया। 21 से ज्यादा पुराने मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी हो गई। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए, 202 सीटें जीतने के बाद भी नीतीश कुमार ने मंत्रियों की संख्या कम क्यों की…21 पुराने मंत्रियों की छुट्टी क्यों की गई.. नीतीश कुमार ने एक भी नए चेहरे को मौका क्यों नहीं दिया… नई सरकार में सबसे ज्यादा बदलाव BJP ने किया है। वहीं, JDU में अभी भी मंत्रियों के एंट्री का दरवाजा खुला है। नियम के मुताबिक, राज्य में 36 मंत्री हो सकते हैं। इस लिहाज से देखें तो 10 मंत्री की जगह अभी भी खाली है। अगर 32 मंत्री के पिछले फॉर्मूले को देखें तो JDU अभी भी 6 मंत्री बना सकती है। सीनियर जर्नलिस्ट इंद्रभूषण कुमार बताते हैं, ‘नीतीश कुमार हमेशा से अपने पुराने चेहरे पर भरोसा करने के लिए जाने जाते हैं। अभी उन्होंने अपने भरोसेमंद को जिम्मेदारी दी है। इस बार कैबिनेट में 6 विधायक पर एक मंत्री पद दिया गया है, इस लिहाज से देखें तो अभी जदयू कोटे से 6 मंत्री और बनाए जा सकते हैं।’ BJP ने सामाजिक समीकरण, नई लीडरशिप को दिया मौका पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण कुमार पांडेय बताते हैं, ‘BJP ने इस बार मंत्रिमंडल में जातीय और सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश की है। इसके साथ ही उन्होंने नई लीडरशिप का भी प्रयोग किया है। शाहाबाद से BJP ने 2 नए चेहरे को मंत्री बनाया है। इसी तरीके से श्रेयसी सिंह, लखींद्र पासवान, रमा निषाद जैसे चेहरे को आगे कर BJP ने नए चेहरे को मौका दिया है।’ सीनियर जर्नलिस्ट इंद्रभूषण बताते हैं, ’अगला विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ होना है। 2029 से देश में वन नेशन वन इलेक्शन लागू होना है। इसे ध्यान में रखते हुए BJP ने मंत्रिमंडल के सहारे हर जोन में नेता तैयार करने का प्रयास किया।’ 4 आधार पर BJP ने मंत्रियों की छुट्टी की… NDA कैबिनेट में अभी सबसे ज्यादा BJP के मंत्री नीतीश सरकार की इस कैबिनेट में 14 मंत्रियों के साथ सबसे ज्यादा हिस्सेदारी BJP की है। 8 मंत्रियों के साथ JDU दूसरे नंबर है। जबकि, तीसरे नंबर की पार्टी चिराग की LJP(R) है। जीतन राम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLM को 1-1 विभाग मिला है। अब सभी 21 मंत्रियों के टिकट कटने का कारण जानिए… रेणु देवी- पिछली सरकार में महिला चेहरा होने के साथ-साथ अति-पिछड़ा का बड़ा चेहरा के तौर पर इनकी पहचान थी। 2020 के NDA के सरकार में डिप्टी CM बनाया गया था। अमित शाह का भरोसेमंद माना जाता है, लेकिन उम्र के कारण इस बार इन्हें नीतीश कैबिनेट में जगह नहीं मिली। एक पैमाना इनके परफॉर्मेंस को भी माना जाता है। नीरज सिंह – बीजेपी सूत्रों की मानें तो इन्हें दो कारण से कैबिनेट से बाहर किया गया है। पहला- नन परफॉर्मिंग मंत्री। दूसरा- जातीय समीकरण। पार्टी की तरफ से दो राजपूत चेहरे कैबिनेट में होने के कारण इनकी छुट्टी कर दी गई है। इससे पहले राजपूत कोटे से इन्हें मंत्री बनाया गया था। केदार गुप्ता- लोकसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण के हिसाब से इन्हें मंत्री बनाया गया था। लेकिन इनका परफॉर्मेंस प्रभावी नहीं रहा। नन परफॉर्मिंग रहने के कारण इनकी जगह EBC के नए चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह दिया गया। कृष्ण कुमार मंटू- चुनाव से पहले इन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी, लेकिन जातीय समीकरण में फिट नहीं बैठते थे। सारण में आबादी के लिहाज से कुर्मी की संख्या कम है। ये उसी इलाके का प्रतिनिधित्व करते थे। पिछले कैबिनेट में उस इलाके से प्रतिनिधि कम होने के लिहाज से इन्हें मौका दिया गया था, लेकिन इस बार नंबर ज्यादा होने के कारण इनकी छुट्टी कर दी गई। जीवेश मिश्रा- चुनाव से ठीक पहले इन पर मेडिकल भ्रष्टाचार का आरोप लगा। इसके कारण किरकिरी हुई। मिथिलांचल से भूमिहार की छुट्टी कर वहां से अन्य जातियों को मौका दिया गया। मंत्रिमंडल से इनकी छुट्टी होने का इसे बड़ा कारण माना जा रहा है। राजू सिंह – जातीय समीकरण में फिट नहीं बैठे। इसके साथ ही इनका परफॉर्मेंस भी प्रभावी नहीं रहा इसके कारण मंत्रिमंडल से इनकी छुट्टी कर दी गई। डॉ. सुनील – नीतीश कैबिनेट में पहले से ही नालंदा से दो मंत्री है। बीजेपी के भीतर सबसे बड़े कुशवाहा नेता के तौर पर अब सम्राट चौधरी स्थापित हो रहे हैं। कैबिनेट में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे इस जाति के हैं, ऐसे में इनकी कैबिनेट से छुट्टी कर दी गई। संजय सरावगी- NDA के आखिरी कैबिनेट विस्तार में इन्हें मौका दिया गया था। भू राजस्व विभाग का एक अहम विभाग दिया गया, लेकिन परफॉर्मेंस में पिछड़ गए। साथ ही मिथिलांचल में इनकी जगह अलग जाति को मौका दिया गया, इसके कारण कैबिनेट से इनकी छुट्टी कर दी गई। संतोष सिंह- पिछली सरकार में शाहबाद के इलाके से NDA का लगभग पूरी तरह सफाया हो गया था। BJP के एकमात्र MLC थे, जो उस इलाके से थे। 2024 के दौरान फ्लोर टेस्ट में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी, ऐसे में इन्हें मंत्री बना कर एक तरीके से इनाम दिया गया था। अब शाहाबाद इलाके से जीतकर आए विधायकों को मौका दिया गया। जनक राम- BJP ने दलित लीडरशिप में बदलाव किया है। परफॉर्मेंस के लिहाज से भी जनक राम खरा नहीं उतरे। कैबिनेट से छुट्टी के पीछे एक बड़ा कारण उनके परफॉर्मेंस को माना जा रहा है। इसके साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी इनके नाम की चर्चा है। नीतीश मिश्र- नीतीश मिश्रा का नाम कटना चौंकाने वाला है। मिथिलांचल में बीजेपी के बड़े चेहरे के रूप में इनकी पहचान है। बतौर उद्योग मंत्री इनका परफॉर्मेंस भी बेहतर है। पार्टी का कोई नेता कैबिनेट से इनकी छुट्टी का स्पष्ट कारण नहीं बता रहा है। हालांकि, एक चर्चा इस बात की भी है कि अगले कैबिनेट विस्तार में इनका नाम जुड़ सकता है। विजय कुमार मंडल- धानुक जाति से इनकी जगह पर नए चेहरे को मौका दिया गया है। पिछली बार जाति के आधार पर ही इन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। इन्हें बदलने का बड़ा कारण इनके परफॉर्मेंस को ही माना जा रहा है। प्रेम कुमार- प्रेम कुमार पार्टी के सबसे सीनियर लीडर हैं। इनका विधानसभा अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का सबसे बड़ा कारण इसी को बताया जा रहा है। हरि सहनी- सहनी से बीजेपी नई लीडरशिप तैयार करना चाह रही है। यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले अपने पुराने चेहरे अजय निषाद की पार्टी में वापसी कराई। उनकी पत्नी रमा निषाद मुजफ्फरपुर से सबसे ज्यादा वोट से जीतीं। अब उन्हें कैबिनेट में शामिल कर सहनी समाज को बड़ा मैसेज देने की कोशिश की गई है। कृष्ण नंदन- सामाजिक समीकरण के कारण कैबिनेट से इनकी छुट्टी कर दी गई है। इनकी जगह ईबीसी के नए चेहरे को मौका दिया गया है। मोती लाल – इन्हें टिकट ही नहीं दिया गया था। जदयू के इन मंत्रियों की छुट्टी हुई महेश्वर हजारी- लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर इन्होंने अपने बेटे को कांग्रेस से समस्तीपुर का टिकट दिलाया था। खुद प्रचार में भी शामिल हुए थे। कैबिनेट से इनकी छुट्टी का सबसे बड़ा कारण भी इसी को माना जा रहा है। पार्टी में बड़ा दलित चेहरा होने के कारण इन्हें टिकट मिला। शीला मंडल- पार्टी का धानुक चेहरा हैं। हालांकि, आरसीपी धड़े की मानी जाती हैं। कैबिनेट से छुट्टी का एक कारण इसे माना जा रहा है। पार्टी के नेता की मानें तो कैबिनेट विस्तार में इनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है। रत्नेश सदा- रत्नेश सदा को मांझी के विकल्प के तौर पर कैबिनेट में लाया गया था। मांझी के बेटे संतोष सुमन ने इस्तीफा दिया था तो आनन-फानन में इन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। अब संतोष सुमन एक बार फिर से गठबंधन में शामिल हो गए हैं तो इनका मंत्री बनना मुश्किल माना जा रहा है। जयंत राज- जयंत राज को पिछले कैबिनेट विस्तार में कुशवाहा के युवा लीडर के तौर पर एंट्री मिली थी। पार्टी के एक धड़े की मानें तो इनकी कार्यशैली से पार्टी का टॉप लीडरशिप नाराज चल रहा है। यही कारण है कि कैबिनेट से इनकी छुट्टी की गई है। हालांकि, कुछ नेता का मानना है कि कैबिनेट विस्तार में इन्हें जगह मिल सकती है। सुमित सिंह – जमुई से विधानसभा का चुनाव हार गए।
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