बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान जंगलराज की गुंज काफी सुनाई दी। NDA का कोई नेता ऐसा नहीं था, जिसने लालू-राबड़ी के राज में हत्या, लूट और अपहरण की बात न की हो। दरअसल, 20 साल पहले राबड़ी राज में किसलय अपहरण कांड ने सनसनी मचा दी। ये ऐसी घटना थी, जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई। पढ़िए कहानी किसलय किडनैपिंग कांड की… 19 जनवरी 2005- सुबह के करीब 6:15 बजे थे। पटना के शांत कहे जाने वाले पटेल नगर इलाके में हल्की धुंध थी और बच्चे रोज की तरह स्कूल जाने की तैयारी में थे। गलियों में दूध वालों की आवाजें, साइकिलों की घंटियां और बच्चों के स्कूल बैग की झनक- सब कुछ रोज की तरह था। डीपीएस पटना का 9वीं का छात्र किसलय गुप्ता, कपड़े पहनकर तैयार हुआ। बैग कंधे पर डालते हुए उसने मां से कहा, ‘निकलता हूं मम्मी, बस छूट जाएगी।’ मां ने जल्दी से टिफिन पकड़ाया- ‘धीरे जाना, सड़क पार करते वक्त ध्यान रखना।’ किसलय मुस्कुराया, ‘हां मम्मी,’ और वो घर से निकल गया। गलियों में हल्की रोशनी, आसमान पर धुंध की सफेद परत। बस स्टॉप की तरफ जाते कुछ और बच्चे भी थे- कोई ठंड से कांपते हुए हाथ रगड़ रहा था, कोई कॉपी बैग से निकालकर अपने होमवर्क देख रहा था। किसलय ने उन्हें देखकर हाथ हिलाया और तेज कदमों से आगे बढ़ गया। जैसे ही वह बस स्टॉप के करीब पहुंचा, पीछे से एक टाटा सूमो आती दिखी- काली खिड़कियों वाली, बिना नंबर प्लेट की। गाड़ी धीरे-धीरे किसलय के पास आकर रुकी। अगले ही पल, दरवाजा खुला और दो आदमी बाहर कूदे। किसलय चौंका- ‘कौन हैं आप?’ जवाब में सिर्फ एक झटके की आवाज आई- ‘चलो, गाड़ी में बैठो!’ किसलय ने भागने की कोशिश की, पर एक ने उसका हाथ मरोड़ दिया, दूसरे ने मुंह पर कपड़ा रख दिया। वह जोर से चिल्लाया- ‘छोड़ो मुझे! कहां ले जा रहे हो?’ लेकिन वे उसे गाड़ी में डाल वहां से निकल लिए। पास खड़े बच्चे घबरा गए। कोई चीखा- ‘देखो किसलय को उठा लिया!’ कुछ बच्चों के बैग सड़क पर गिर गए, कोई कांपते हुए रोने लगा। सड़क पर कुछ पल के लिए सिर्फ एक आवाज गूंज रही थी- ‘किसलय को ले गए… किसलय को किडनैप कर लिया!’ हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा- ‘कुछ ही देर में पटना के इस शांत मोहल्ले में कोहराम मच गया।’ कोना-कोना छान मारिए, हर हाल में हमें सुरक्षित किसलय चाहिए सुबह के 7 बजते-बजते पटेल नगर की गली में अफरा-तफरी मच गई। किसी ने स्कूल को फोन किया, किसी ने पुलिस स्टेशन को, लेकिन हर तरफ एक ही जवाब मिला- ‘अभी देख रहे हैं, टीम भेज रहे हैं।’ किसी पड़ोसी ने दौड़कर किसलय की मां को बताया, ‘दीदी, सूमो में दो लोग आए थे… बच्चे चिल्ला रहे थे… किसलय को ले गए…’ यह सुनते ही वो सन्न रह गईं। एक ही बात दोहराते हुए- ‘मेरा किसलय… कहां ले गए मेरे किसलय को…’ कहते हुए मां सड़क की ओर दौड़ पड़ीं। सूचना के बाद वहां पुलिस आई। बच्चे रोते हुए बता रहे थे- ‘सफेद सूमो थी… दो लोग थे… उन्होंने किसलय के मुंह पर कपड़ा रख दिया…’ पुलिस उसके बाद तुरंत तलाश में जुट गई, लेकिन दोपहर तक कोई खबर नहीं मिली। अब तक एक घंटे बीत चुके थे। किसलय के पिता केके गुप्ता उस समय बिहार सरकार में वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर थे। उन्हें जैसे ही पता चला, वो तुरंत अपनी गाड़ी से पुलिस स्टेशन पहुंचे। काफी घबराए हुए। थाने के काउंटर पर खड़े होते ही उन्होंने कहा- ‘मेरा बेटा किसलय गायब हो गया है, एफआईआर दर्ज कीजिए। दो लोग उसे अपनी कार में डालकर ले गए हैं। वे बिना नंबर प्लेट की गाड़ी से आए थे।’ पुलिस वाले भी हड़बड़ा गए। एक सिपाही आस-पास के अफसरों को फोन घुमाने लगा। अब तक एसएसपी एनएच खान तक खबर पहुंच चुकी थी। खान उसी वक्त अपनी यूनिफॉर्म में थाने पहुंचे। उन्होंने सीधे कहा, ‘ये कोई साधारण मामला नहीं -बच्चे को सुरक्षित हालत में वापस लाना है। कोना-कोना छान मारिए।’ खान ने तुरंत अपने सबसे भरोसेमंद इंस्पेक्टरों को इकट्ठा किया। आदेश दिया- ‘कॉल‑ट्रेसिंग तुरंत शुरू करो; उस इलाके के मोबाइल टावर के रिकॉर्ड निकालो; जीपीएस‑डेटा और आस‑पास के सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करके देखो। साथ ही शहर के सभी प्रवेश‑निकास पर नाकाबंदी कराओ, ताकि आरोपी शहर से बाहर न जा सकें।’ इंस्पेक्टरों ने अपनी अलग-अलग टीमें बनाईं, दल के कुछ लोग कॉल‑ट्रेस यूनिट और कुछ तकनीकी शाखा के साथ लगे, कुछ ने पटेल नगर और आस‑पास के मोहल्लों में हाउस‑टु‑हाउस तलाशी की जिम्मेदारी ली और कुछ लोग शहर के बस अड्डों, रेलवे स्टेशन व बड़े चौराहों पर तैनात हुए। हर टीम के साथ एक सीनियर अफसर था- किसी भी हल्की जानकारी पर फौरन रिपोर्ट करने का आदेश था। थाने के भीतर किसलय के पिता बार‑बार घटना का बयान दोहरा रहे थे- किस समय वह घर से निकला, किस रूट से गया, किन लोगों से मिला और किस तरह की गाड़ी थी। इस बीच पुलिस टीम को गुप्त मुखबिरों से सूचना मिली कि इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड जेल में ही है। चुन्नू ठाकुर- कुख्यात अपराधी, जो जेल से अपनी गैंग चला रहा है। इस घटना को उसके गुर्गे विक्की ठाकुर उर्फ पप्पू ठाकुर ने अंजाम दिया है।’ उसके बाद पुलिस टीम के लोगों ने तुरंत एसएसपी एनएच खान को इसकी जानकारी दी। खान ने कहा- ‘अब सबसे पहले अपराधियों की कॉल ट्रेस करो और उनकी घेरेबंदी की तैयारी करो’। रात गहरी हो गई थी और पटना की गलियां सूनी‑सी लग रही थीं, लेकिन पुलिस की टीमें हर मोड़ पर सक्रिय थीं। एसएसपी एनएच खान ने अपने अफसरों से कहा, ‘विक्की ठाकुर का ठिकाना ट्रैक करने में कोई कसर नहीं छोड़नी है। बच्चे की जान पर कोई खतरा नहीं होना चाहिए।’ टीम ने आस-पास के मुखबिरों और स्थानीय दुकानदारों से पूछताछ शुरू की। हर छोटी‑छोटी सूचना को नाकेबंदी और ट्रेसिंग के लिए तुरंत नोट किया गया। जब अटल ने भरी रैली में पूछा- कहां है मेरा किसलय 27 जनवरी 2005 को बिहार के भागलपुर में अटल बिहारी वाजपेयी की रैली हुई। उन्होंने मंच से सवाल दागा- ‘कहां है मेरा किसलय? उन्होंने रुआंसे मन से कहा- ‘मुझे मेरा किसलय लौटा दो।’ अटल की इमोशनल अपील ने उस समय की आरजेडी सरकार की साख पर गहरा वार किया और पूरे राज्य की राजनीति हिला दी। पूर्व पीएम का यह सवाल जनता के गुस्से को बाहर लाया। उसके बाद लोग सड़कों पर उतरने लगे। उस समय देशभर के अखबारों में किसलय के अपहरण की खबर छपी। यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर छा गया। अटल के उस बयान ने बिहार चुनाव 2005 में सत्ता परिवर्तन की दिशा तय कर दी। डीपीएस समेत राज्यभर के स्कूलों के बच्चों ने स्कूलों में टिफिन ले जाना बंद कर दिया। पहली बार स्कूली छात्र सड़क पर नजर आए। इस दौरान वे सड़कों पर पोस्टर-बैनर के साथ निकले। जिस पर नारे लिखे थे- ‘ब्रिंग बैक किसलय’ यानी किसलय को वापस लाओ, ‘हम डरते नहीं’। ‘जब तक किसलय वापस नहीं आता, हम स्कूल में टिफिन लेकर नहीं जाएंगे’। लालू बोले- वोटिंग से पहले हर हाल में बच्चा मिल जाना चाहिए 1 फरवरी की ठंडी सुबह। अब तक किसलय का अपहरण हुए 11 दिन हो चुके थे। 3 फरवरी 2005 को बिहार में पहले चरण की वोटिंग होनी थी। पूरे बिहार में चुनावी हलचल चरम पर थी। राबड़ी देवी की सरकार तनाव में थी, क्योंकि किसलय किडनैपिंग का मामला न केवल आम लोगों की संवेदना को झकझोर रहा था, बल्कि चुनावी माहौल पर भी सीधे असर डाल रहा था। 2 फरवरी 2005 की रात तक पूरे पटना में हर तरफ तलाश जारी थी। इस बीच, लालू प्रसाद यादव ने पटना के एसएसपी एनएच खान को फोन किया। उनकी आवाज में गंभीरता और बेचैनी साफ थी। उन्होंने कहा, ‘किसी भी हालत में बच्चा मिलना चाहिए। मैं खुद व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी कर रहा हूं। वोटिंग होने जा रही है, अगर यह मामला समय पर हल नहीं हुआ, तो हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा।’ एसएसपी खान ने तुरंत जवाब दिया, ‘सर, आप चिंता न करें। हमारी टीम पूरी तरह सक्रिय है। किसी भी हालत में बच्चे को चुनाव से पहले ढूंढ निकालेंगे। हर जगह छानबीन जारी है और हमें यकीन है कि हम उसे सुरक्षित वापस लाएंगे।’ उसी रात पुलिस को अचानक सूचना मिली कि किसलय को सिपारा इलाके में छिपा कर रखा गया है। एसएसपी एनएच खान ने तुरंत अपनी टीम को जुटाया। उन्होंने आदेश दिया- ‘सभी सिपारा इलाके में पहुंचो और किसी भी हालत में बच्चे को सुरक्षित निकालो। कुछ भी हो जाए, उसे चोट नहीं पहुंचनी चाहिए।’ पुलिस टीम धीरे-धीरे इलाके में फैल गई। घर-घर तलाशी लेना शुरू किया। गली-गली चक्कर लगाया। किसी भी आवाज और हलचल पर ध्यान रखा। सुबह के करीब 6:30 बज रहे थे। पुलिस एक पुराने मकान के कमरे तक पहुंची। भीतर से हल्की आवाज सुनाई दी। किसलय की कांपती हुई आवाज थी- ‘मुझे निकालिए इसमें से, वे लोग मुझे अंदर बंद करके भाग गए हैं।’ एक पुलिस वाले ने एसएसपी खान को जानकारी दी। वो तुरंत पहुंचे और कहा- ‘ठीक है बेटा, चिंता मत करो, हम ताला तोड़ रहे हैं।’ एक पुलिस वाला पत्थर लेकर आया। उसने कई बार ताले पर मारा। काफी जद्दोजहद के बाद ताला टूट गया। दरवाजा खोला तो किसलय था- सहमा, डर हुआ, लेकिन सुरक्षित। पुलिस ने उसे तुरंत गले लगाया, पानी पिलाया और कहा- ‘अब चिंता मत करो, हम आ गए हैं। कुछ नहीं होगा।’ धीरे-धीरे उसे कमरे से बाहर निकाला गया। एसएसपी खान ने कहा, ‘अब हमारे साथ चलो। तुम्हारे मम्मी-पापा थाने में इंतजार कर रहे हैं।’ सूरज की पहली किरणें पटना की सड़कों पर धीरे-धीरे चमक रही थीं। सुबह के 8 बज रहे थे, जब पुलिस किसलय को सुरक्षित जीरो माइल थाने लेकर पहुंची। एसएसपी एनएच खान ने तुरंत फोन उठाया और किसलय के पिता केके गुप्ता को कॉल किया। फोन की दूसरी तरफ से केके गुप्ता की बेचैन आवाज सुनाई दी- ‘हां सर, बोलिए, मेरा बेटा मिल गया क्या?’ खान ने थोड़ी राहत भरी आवाज में कहा- ‘हां, आपका बेटा सुरक्षित मिल गया है। कृपया थाने आएं।’ केके गुप्ता ने तुरंत गाड़ी निकाली और पत्नी को साथ लिया। थोड़ी देर में वे जीरो माइल थाने पहुंच गए। थाने का दरवाजा खुला और उनके सामने किसलय खड़ा था, साथ में एसएसपी खान। केके गुप्ता और उनकी पत्नी की आंखें भर आईं। बिना कुछ बोले उन्होंने किसलय को अपनी बाहों में भर लिया। पुलिस ने आरोपियों को दबोचना शुरू किया, गिरोह का पर्दाफाश किसलय के सुरक्षित मिलने के बाद भी पुलिस की जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई थी। अब सबसे जरूरी काम था- अपराधियों को पकड़ना। पटना के कई इलाकों में पुलिस टीम ने छापेमारी शुरू कर दी। हर गली, हर नुक्कड़ की तलाशी ली गई। इस दौरान 10 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। इस बीच पुलिस को सूचना मिली कि मामले का आरोपी विक्की ठाकुर शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में छिपा हुआ है। एसएसपी खान ने टीम से कहा- ‘तुरंत बेली रोड के पास शास्त्री नगर के जनरमुरा आउटपोस्ट का घेराव करो’। पुलिस ने 9 फरवरी 2005 को तड़के सुबह पटना के शास्त्रीनगर इलाके का घेराव किया और तलाशी शुरू कर दी। तभी अचानक विक्की ठाकुर और उसका एक साथी भागते हुए दिखाई दिए। एक पुलिस वाले ने तेज आवाज में कहा- ‘देखो, विक्की ठाकुर और उसका साथी भाग रहे हैं।’ पुलिस टीम ने तुरंत पीछा किया। दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। इस दौरान दानापुर के डीएसपी दिलनवाज अहमद और दो अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। तनाव और डर के बीच, पुलिस की एक गोली विक्की और उसके साथी को लगी। वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने दोनों को दबोच कर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन विक्की ने इलाज से पहले ही दम तोड़ दिया। वहीं दूसरी तरफ चुन्नू ठाकुर के तीन साथी पटना छोड़कर दिल्ली भाग गए थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। कुछ ही दिनों बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर पटना लाया गया। पटना पहुंचते ही पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ सबूत और गवाहों की रिपोर्ट के साथ चार्जशीट तैयार की। इसे पटना के सीजेएम यानी चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, आरोपियों की पेशी हुई। मुख्य गवाह के तौर पर किसलय के पिता, केके गुप्ता और खुद किसलय कोर्ट में मौजूद था। पुलिस अधिकारी एसएसपी एनएच खान और उनकी टीम ने कॉल ट्रेस की रिपोर्ट और चार्जशीट को कोर्ट के सामने रखा। किसलय ने खुद गवाही दी, बताते हुए कि कैसे वह 13 दिन तक बंद कमरे में रहा और पुलिस के पहुंचने पर सुरक्षित महसूस किया। केके गुप्ता ने भी गवाही देते हुए बताया कि पुलिस ने मामले की जांच की हर संभव कोशिश की और हर कदम पर उन्हें जानकारी दी। एसएसपी खान ने कोर्ट में कहा, ‘मामले में हमारी टीम ने बिजली की गति से काम किया। हर दिन राष्ट्रपति के सचिवालय तक कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी जा रही थी।’ पलट गई बिहार की सत्ता, दोबारा RJD का फिर मुख्यमंत्री नहीं बना किसलय के अपहरण से आरजेडी सरकार की साख को बहुत नुकसान हुआ। तब देश-विदेश में भी बिहार के अपहरण की घटनाओं की चर्चा होने लगी थी। बिहार में अपहरण उद्योग मुहावरा सा बन गया था। आए दिन अपहरण होते थे। टाइम मैगजीन के मुताबिक 1992 से 2001 के बीच बिहार में करीब 24 हजार अपहरण हुए। यानी हर दिन लगभग 6 अपहरण। तब टाइम ने लिखा था कि बिहार में अपहरण करियर चॉइस बन गया है। बीजेपी नेताओं ने अपहरण को लेकर आरजेडी सरकार के साथ-साथ सीधे तौर पर लालू-राबड़ी को जिम्मेदार ठहराया था। किडनैपिंग की घटना ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया। फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला। अक्टूबर 2005 में फिर से चुनाव हुए। इस बार NDA को बहुमत मिल गया। जदयू को 88 और बीजेपी को 55 सीटें मिलीं। जबकि आरजेडी 54 सीटों पर सिमट गई। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। उसके बाद हुए चुनावों में भी बीजेपी और जदयू ने लगातार जंगलराज का मुद्दा उठाया और आरजेडी को घेरा। इसका उसे फायदा भी मिला। 2005 के बाद से अबतक बिहार की सत्ता लगातार नीतीश के इर्द-गिर्द ही रही है। अपहरण और जंगल राज आरजेडी के लिए इतना बड़ा मुद्दा बना कि 2020 के चुनाव में इसके लिए तेजस्वी यादव को माफी मांगनी पड़ी। तब तेजस्वी ने कहा था- ‘बिहार में राजद 15 साल तक सरकार में रहा। इस दौरान जो भी भूल या गलती हुई इसके लिए हम माफी मांगते हैं।’
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