गोंडा जिले के सेंट जेवियर्स स्कूल में शिक्षकों और बच्चों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जहां इस कार्यशाला में शिक्षण पद्धति में नवाचार और नए युग की तैयारी पर चर्चा हुई। कनाडा से आए रूथ रस्तोगी और दिनेश रस्तोगी ने शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों के साथ विस्तृत संवाद किया है। कार्यशाला में वक्ताओं ने बच्चों को प्रकृति से जोड़ने और आधुनिक शिक्षण विधियों में बदलाव लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीखने की प्रक्रिया को किताबों तक सीमित न रखकर कहानियों, मॉडल, गतिविधियों और प्रैक्टिकल से जोड़ा जाना चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में दोनों विशेषज्ञों ने बच्चों पर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव न डालने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चे के मानसिक, भावनात्मक और रचनात्मक विकास की दिशा पर ध्यान देना चाहिए। रूथ रस्तोगी ने बच्चों को ट्यूशन न पढ़ाने की बात कही। उनका तर्क था कि ट्यूशन शिक्षक केवल होमवर्क पूरा करवाते हैं, आगे की शिक्षा नहीं दे पाते।उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बच्चों के स्कूल बैग भारी नहीं होने चाहिए। विद्यार्थियों को केवल आवश्यक किताबें और कॉपियां ही स्कूल ले जानी चाहिए। वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि बच्चे मोबाइल तक सीमित होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को दादा-दादी, माता-पिता या किसी आदर्श व्यक्तित्व द्वारा कहानियाँ सुनाई जानी चाहिए, जिससे उनमें संस्कार, आदर्श और सकारात्मक सोच का विकास हो सके। दिनेश रस्तोगी ने स्वच्छ भारत अभियान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की। उन्होंने पॉलीथीन का प्रयोग कम करने और उसके पुनः उपयोग पर भी जोर दिया। रूथ रस्तोगी ने प्लास्टिक कचरे को सड़कों पर न फेंकने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे प्रदूषण फैलता है और जिले की छवि खराब होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्लास्टिक कचरे को बोतलों में इकट्ठा कर उचित स्थान पर रखा जाए, ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हों। कहां हम जब गोंडा की तरफ आते हैं तो देखते हैं कि यहां पर काफी कूड़ा इकट्ठा है तो उसे हमें कम करना है।
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