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आयुर्वेद का वरदान: AQI बढ़ने पर गले की जलन से पाना है छुटकारा? पान के पत्ते का काढ़ा है असरदार

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (AQI) का लेवल तेजी बढ़ रहा है। जिस वजह से गले, सांसों और फेफड़ों पर महसूस होता है। हवा में मौजूद धूल, धुआं और हानिकारक कण गले में जलन, खराश, सूखापन और खांसी को बढ़ा देते हैं। ऐसे में घरेलू नुस्खा ही काम आते हैं। आयुर्वेद में बर समस्या का इलाज है, यह इलाज दवाओं से नहीं, कई बार प्राकृतिक चीजों से भी होता है। पान का पत्ता इन परेशानियों को दूर करने में किसी चमत्कार से काम नहीं है।  पान का पत्ता सिर्फ पूजा-पाठ या खाने के लिए नहीं होता, बल्कि यह हीलिंग और एनर्जी संतुलन में भी काम करता है।
आयुर्वेद में पान का पत्ता की तासीर गर्म मानी गई है, यानी यह शरीर में स्वाभाविक गर्माहट बढ़ाने का गुण रखता है। ठंड, प्रदूषण या मौसम के बदलने पर जब कफ बढ़ जाता है, तो इससे गले में जलन, खांसी, बंद नाक और शरीर में भारीपन जैसी दिक्कतें होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में पान का पत्ता बिना किसी कफ सिरप या दवा के, प्राकृतिक रूप से इन समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
गले में जलन का देसी इलाज
इस विधि से गले की जलन, खराश, सूखापन, खांसी और कफ में आराम मिलता है। 
पान के पत्ते से काढ़ा कैसे बनाएं
– सबसे पहले पान के 1-2 पत्ते पानी में डालें।
– इसमें तुलसी के 3-4 पत्ते और 2-3 काली मिर्च डालकर उबालें।
– इसे कुछ मिनट उबालकर छान लें
– इसको गर्म-गर्म पिएं।
केवल 7-10 दिनों तक पीने से ही आप महसूस करेंगी कि गले की जलन कम हो रही है, खांसी शांत हो रही है, कफ भी पिघल जाएगा और गला हल्का महसूस करेगा।
आयुर्वेद में भी पान के पत्ते का अनोखा महत्व है
– हल्का गर्म करके लेने से सांस खुलने लगती है।
– पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से खराश कम होती है।
– शहद के इस्तेमाल करने से गले को काफी आराम मिलता है।
– इसके अलावा, स्टीम में डालकर लेने से कंजेशन तुरंत कम होता है। 


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