DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

शादी के दिन शराब पिलाने पर ₹1 लाख का जुर्माना:फास्ट फूड पर भी रोक; उत्तराखंड के जनजातीय गांवों ने बनाया नियम

उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र में सामाजिक समानता और परंपराओं को मजबूत करने के लिए बड़ा सामूहिक फैसला लिया गया है। खत शैली से जुड़े 25 गांवों ने तय किया है कि अब शादी और शुभ आयोजनों को पूरी सादगी से मनाया जाएगा। इन गांवों में शराब, फास्ट फूड और महंगे तोहफे पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। परंपरागत और सरल आयोजन को बढ़ावा देने के लिए बेटी की ओर से बकरा देने की प्रथा भी खत्म कर दी गई है। नियम का उल्लंघन करने वालों से एक लाख रुपए का जुर्माना वसूलने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला दोहा गांव में खत के सदर स्याणा राजेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। शादी में शराब, फास्ट फूड और महंगे गिफ्ट पूरी तरह बंद दोहा गांव में हुई बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि शादी और शुभ कार्यक्रमों में अंग्रेजी शराब, बीयर, चाऊमीन, मोमो, टिक्की, चाट और अन्य फास्ट फूड परोसना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इसके साथ ही चांदी के सिक्के, ड्राई फ्रूट्स और महंगे उपहार देने-लेने पर रोक लगा दी गई है। परंपरा अनुसार केवल मामा की ओर से आटा, चावल और बकरा लाने की अनुमति रहेगी। महिलाओं के गहनों पर पहले से लागू है ‘3 गहने’ का नियम जौनसार-बावर के कई गांव पहले ही यह नियम लागू कर चुके हैं कि शादी जैसे समारोहों में महिलाएं केवल तीन पारंपरिक गहने ही पहन सकती हैं। कंधाड़ और खारसी गांवों में यह निर्णय इसलिए लिया गया था ताकि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों पर कर्ज लेकर सोने के गहने बनवाने का दबाव न पड़े। सोने के बढ़ते दामों के बीच यह कदम सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा प्रयास माना गया। अब समझिए क्यों लिया गया यह फैसला समारोहों में आधुनिक दिखावे, अतिरिक्त खर्च और प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगी थी। कई परिवार कर्ज लेकर गहने, महंगे तोहफे और फास्ट फूड की व्यवस्था करते थे। खत शैली की बैठक में तय किया गया कि ऐसे खर्च समाज में असमानता पैदा करते हैं।सरल आयोजन से आर्थिक दबाव घटेगा और अमीर-गरीब के बीच की खाई कम होगी। इसके साथ सामाजिक एकता और पारंपरिक रीति-रिवाजों को बढ़ावा मिलेगा। क्या है ‘खत शैली’- जौनसार-बावर की पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था जौनसार-बावर क्षेत्र में ‘खत शैली’ नाम की पारंपरिक सामूहिक शासन व्यवस्था है, जिसमें 7 से 18 गांव एक समूह के रूप में जुड़े होते हैं। सभी महत्वपूर्ण सामाजिक फैसले गांवों की सामूहिक सहमति से लिए जाते हैं। इस व्यवस्था का नेतृत्व ‘स्याणा’ करता है, जो गांवों के जिम्मेदार लोगों के साथ मिलकर नियम तय करता है। माना जाता है कि स्याणाचारी व्यवस्था राजा विराट के काल से चली आ रही है। संयुक्त परिवार- इस क्षेत्र की सबसे बड़ी ताकत जौनसार-बावर की आबादी लगभग 2.5 लाख है और इसमें 20 हजार से अधिक परिवार शामिल हैं। यहां 90% परिवार आज भी संयुक्त परिवार व्यवस्था में रहते हैं। कई घरों में 40 से 90 सदस्य एक साथ रहते हैं।जैसे चिल्हाड़ का 90 सदस्यों वाला बिजल्वाण परिवार, बृनाड़-बास्तील और बुल्हाड़ के 50–75 सदस्यों वाले परिवार, और रंगेऊ व कुल्हा गांवों में 40–60 सदस्यों वाली बड़ी परंपरागत इकाइयाँ आज भी साझा संस्कृति निभा रही हैं।


https://ift.tt/0BkaDOZ

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *