दिल्ली में हुए विस्फोट मामले की जांच NIA को सौंपे जाने के बाद यूपी में ATS की कार्रवाई अचानक तेज हो गई है। बताया जा रहा है NIA से मिले इनपुट के आधार पर यूपी ATS ने 10 से ज्यादा डॉक्टरों से गहन पूछताछ कर रही है। इन डॉक्टरों के नाम मुख्य आरोपियों डॉ.मुजम्मिल, डॉ.शाहीन और डॉ.आदिल के संपर्क लिस्ट में मिले हैं। पूछताछ जिन जिलों में हुई है और चल रही है, उनमें बहराइच, अलीगढ़, नोएडा, सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल और मुजफ्फरनगर शामिल हैं। कई जगहों पर ATS की टीमें अचानक पहुंचीं और डॉक्टरों से कथित संपर्कों के बारे में जानकारी की। ATS पिछले दिनों से लगातार स्थानीय नेटवर्क की जांच कर रही है। पुराने मामलों से जुड़े इनपुट भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि ये पता लगाया जा सके कि दिल्ली घटना से पहले या बाद में किसी तरह की कोई संदिग्ध गतिविधि तो नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, मुरादाबाद के 3 डॉक्टरों की कुछ गतिविधियों को सुरक्षाबलों ने संदिग्ध पाया है, जिसके बाद तीनों को ATS मुख्यालय लखनऊ में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जांच से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि दिल्ली विस्फोट घटना के बाद तीनों डॉक्टरों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए थे, जिससे संदेह और गहरा गया। इसके अलावा, तीनों की लोकेशन बीते माह फरीदाबाद में मिलने की भी बात सामने आ रही है। हालांकि यह वहां क्यों गए थे और किससे मिले, इसकी आधिकारिक जानकारी अभी नहीं है। ATS ने अब तक किसी भी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। पाकिस्तान से ड्रोन से आरडीएक्स मंगवाने की भी हो रही जांच इससे पहले पंजाब पुलिस ने ड्रोन से हथियार मंगाने के मामले में सहारनपुर में पड़ताल की थी। पंजाब पुलिस ने सहारनपुर में ड्रोन नेटवर्क के तार तलाशे हैं। उस अस्पताल के मैनेजमेंट और स्टाफ से भी पुलिस ने कई जरूरी जानकारी जुटाई है। दरअसल, पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर से पकड़े गए ड्रोन और उससे बरामद विस्फोटक सामग्री को आतंकी मॉड्यूल से जोड़कर देखा जा रहा है। शक है कि इसका सीधा कनेक्शन सहारनपुर से गिरफ्तार डॉ. अदील अहमद राथर से हो सकता है। इसकी तह तक पहुंचने के लिए पंजाब से लेकर यूपी तक ड्रोन नेटवर्क की जांच तेज हो गई है। पंजाब में बरामद बड़े पैमाने पर विस्फोटक और हथियारों ने सुरक्षा एजेंसियों की सांसें बढ़ा दी हैं। ड्रोन मामले में खालिस्तानी और बब्बर खालसा से जुड़े संदिग्ध आतंकी पकड़े जा चुके हैं। इस बीच पंजाब पुलिस की एक टीम सहारनपुर पहुंचकर इसी ड्रोन नेटवर्क की जांच कर रही है। अब तक डॉ. शाहीन, उसका भाई परवेज और आदिल समेत पांचों डॉक्टर पकड़े गए… 1- पोस्टर से आदिल तक पहुंची पुलिस, सहारनपुर से उठाया 17 अक्टूबर को मौलवी इरफान ने नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगवाए। पोस्टर लगाने वालों में नौगाम के रहने वाले आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार शामिल थे। ये सभी CCTV में कैद हो गए। 19 अक्टूबर को श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। श्रीनगर के एसएसपी संदीप चक्रवर्ती की अगुआई में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पोस्टर मौलवी इरफान और डॉ. आदिल के कहने पर लगाए गए थे। पुलिस ने मौलवी इरफान को पकड़ा। उससे मिले इनपुट के आधार पर जमीर अहमद अहंगर को भी गिरफ्तार किया गया। फिर पुलिस ने डॉ. आदिल की तलाश शुरू की। पुलिस जब जमीर को लेकर डॉ. आदिल के घर पहुंची, तो पता चला कि 1 नवंबर को वह सहारनपुर आया है। यहां एक अस्पताल में नौकरी कर रहा। 6 नवंबर को यूपी एटीएस की मदद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. आदिल को सहारनपुर से गिरफ्तार कर लिया। 2- आदिल ने शाहीन का नाम कबूला डॉ. आदिल ने पूछताछ में बताया कि उसके साथ डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई उर्फ मुसाइब, उसकी गर्लफ्रेंड शाहीन और डॉ. उमर भी जुड़े हैं। डॉ. मुजम्मिल, हरियाणा के फरीदाबाद में रहता है और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर है। आदिल ने यह भी कबूला कि उसके पास एक AK-56 राइफल है। जिसे उसने अनंतनाग गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के लॉकर में छिपाकर रखा था। पुलिस ने वहां छापा मारकर राइफल बरामद कर ली। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया। उसके घर से विस्फोटक बरामद हुए। फिर उसकी गर्लफ्रेंड शाहीन को भी पकड़ा गया। उसके पास से पुलिस को एक AK-47 राइफल मिली। 3- डाॅ. परवेज गिरफ्तारियों से डरा, ATS ने पकड़ा डॉ. आदिल की गिरफ्तारी के बाद परवेज को खुद के पकड़े जाने की भनक लग गई। इसीलिए उसने एक दिन बाद 7 नवंबर को लखनऊ की प्राइवेट यूनिवर्सिटी इंटीग्रल से इस्तीफा दे दिया। डॉ. परवेज इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर था। ई-मेल से प्रबंधन को अपना इस्तीफा भेजा। वजह किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर सिलेक्शन बताया, लेकिन कहीं जॉइन नहीं किया। दिल्ली ब्लास्ट के अगले दिन ATS ने परवेज के लखनऊ स्थित घर पर छापेमारी की। बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया। 4- आरिफ ने लखनऊ SGPGI छोड़कर कानपुर में जॉइन किया आरिफ कानपुर मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में डीएम (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) की पढ़ाई कर रहा था। उसने 3 महीने पहले ही जॉइन किया था। आरिफ ने NEET सुपर स्पेशियलिटी एग्जाम में ऑल इंडिया 1008वीं रैंक हासिल की थी। पहली काउंसलिंग में उसे लखनऊ के SGPGI में प्रवेश मिला था, लेकिन जॉइन नहीं किया। इसके बाद दूसरी काउंसलिंग में कानपुर में एडमिशन लिया। मूलरूप से जम्मू-कश्मीर का रहने वाला डॉ. आरिफ कानपुर के अशोक नगर में किराए के कमरे में रहता था। बुधवार तड़के 2 से 5 बजे तक उसने इमरजेंसी ड्यूटी की थी। इसके बाद आरिफ घर लौट रहा था। रास्ते में एटीएस ने उसे पकड़ लिया। बाद में उसके कमरे का ताला तोड़कर तलाशी ली थी। 5- फारूख ने अल-फलाह से MD किया, डॉ. शाहीन प्रोफेसर थी फारूख हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज में गॉयनाकोलॉजिस्ट था। उसने एक साल पहले ही कॉलेज जॉइन किया था। कैंपस के हॉस्टल में रहता था। फारूख, जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के मीरिपुरा का रहने वाला है। उसने, यहीं के आचार्य श्रीचंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस किया था। इसके बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से एमडी किया। डॉ. शाहीन अल-फलाह यूनिवर्सिटी में उसकी प्रोफेसर रह चुकी है। कौन है डॉ. अदील अब जानें, डॉ शाहीन और उमर की क्या भूमिका रहती थी… दोनों ब्रेन वॉश करते थे, ग्रुप से जोड़ते-मोटिवेशनल वीडियो भेजते मुजम्मिल के रिक्रूटमेंट करने के बाद अगला काम डॉ. शाहीन और उमर नबी का होता था। दोनों ही यूनिवर्सिटी के उच्च पदों पर बैठे हुए थे, जिस कारण उन्हें किसी से काम लेने और कहीं पर भेजने में कोई दिक्कत नहीं आती थी। फार्मासिस्ट की एचओडी होने का शाहीन सईद ने फायदा उठाया और अपनी टीम के मेंबर को नौकरी भी लगवाया। बाशिद को नौकरी अस्पताल के मेडिसन विभाग में डॉ. शाहीन ने डॉ. उमर के कहने पर लगाई, जिसके बाद बाशिद पूरी तरह से उनके नेटवर्क में शामिल हो गया। ब्रेनवॉश करने के लिए दोनों नेटवर्क को सोशल मीडिया ग्रुप से जोड़ते और फिर वीडियो या अन्य मैसेज भेजकर प्रेरित करते। लड़कियों को शामिल करने का प्लान डॉ. शाहीन ने अपनी टीम में लड़कियों को शामिल करने का भी प्लान तैयार किया था, जिसके तहत उसने कुछ लड़कियों की लिस्ट भी बनाई थी, जिसका जिक्र उसकी डायरी में भी है। इसके अलावा, किसको कितने पैसे की मदद करनी है, इसका फैसला भी डॉ. शाहीन और उमर नबी मिलकर ही करते थे। शाहीन लड़कियों की टीम बनाने में कामयाब नहीं हुई और उसने टीम बनाने की जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल को सौंप दी। मुज्जमिल ने ली टीम की जिम्मेदारी डॉ. शाहीन की प्लानिंग फेल होने के बाद उसने दूसरी जिम्मेदारी ली, जिसके तहत शाहीन पैसों से टीम के सदस्यों की मदद करती और जब वे पूरी तरह से उनके काम में आ जाते तो उसके बाद उन्हें अंत में डॉ. नबी को सौंप दिया जाता था। ————- यह खबर भी पढ़िए सहारनपुर में डॉ.अदील ऑनलाइन मंगवाता था खाना:उस बस्ती में मकान लिया, जहां कोई CCTV नहीं; रात में 5 गाड़ियों से आते थे लोग आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े डॉक्टर अदील ने सहारनपुर में मलिन बस्ती में मकान लिया था। जिसका किराया 9 हजार रुपए प्रति माह था। यह ऐसी जगह थी, जहां कोई सीसीटीवी नहीं था। देर रात उससे मिलने के लिए 5 गाड़ियों से लोग आते थे। वह ऑनलाइन खाना मंगवाता था। डॉ. अदील से संपर्क रखने वाले करीब 15 लोग एजेंसियों के रडार पर हैं। सभी से पूछताछ की जा रही है। इनमें अदील से रोजाना मिलने आने वाले 8 लोग भी शामिल हैं। एनआईए, एटीएस, एसटीएफ, आईबी और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमें सहारनपुर में लगातार डेरा डाले हुए हैं। फिलहाल आदिल के मानकमऊ स्थित किराए के मकान पर ताला लगा हुआ है।पढ़िए पूरी खबर
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