दिल्ली विस्फोट के बाद खुफिया एजेंसियां बलरामपुर जिले में सक्रिय हो गई हैं। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डॉक्टरों की गहन पड़ताल शुरू कर दी है। विशेष रूप से नेपाल, चीन और पाकिस्तान से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त कर प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सकों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और तैनाती की जांच की जा रही है। एजेंसियां इन डॉक्टरों के संदिग्ध लिंक तलाश रही हैं, जिससे जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। सीएमओ कार्यालय के अनुसार, वर्तमान में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इन देशों से पढ़ाई करने वाले किसी भी डॉक्टर की तैनाती नहीं है। हालांकि, सतर्कता के तहत निजी नर्सिंग होम में कार्यरत सभी एमबीबीएस डॉक्टरों की डिग्रियों का विस्तृत सत्यापन शुरू कर दिया गया है। जिले में कुल 55 पंजीकृत नर्सिंग होम हैं, जिनके पंजीकरण में लगी डिग्रियों की अब खुफिया जांच की जाएगी। बलरामपुर जिला नेपाल सीमा से सटा होने के कारण इस मामले को विशेष रूप से संवेदनशील माना जा रहा है। हाल ही में मतांतरण से जुड़े छांगुर गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद से एजेंसियां जिले में और अधिक सक्रिय हो गई हैं। बीते बुधवार को खुफिया विभाग की एक टीम ने सीएमओ कार्यालय का दौरा किया और अधिकारियों व कर्मचारियों से जानकारी जुटाई। इस दौरान दफ्तर में दिनभर गंभीरता का माहौल बना रहा। जिले में 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और 31 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) सीएमओ के अधीन संचालित हैं। इसके अतिरिक्त, मेडिकल कॉलेज के तहत संयुक्त जिला अस्पताल, जिला मेमोरियल और जिला महिला चिकित्सालय भी आते हैं। अनुमान है कि आगे इन संस्थानों में भी खुफिया टीमें जांच के लिए दस्तक दे सकती हैं। एसीएमओ डॉ. संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि निजी नर्सिंग होम में कार्यरत डॉक्टरों की डिग्री व अन्य दस्तावेजों का विवरण खुफिया एजेंसी को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग पूरी तरह सहयोग कर रहा है और सभी रिकॉर्ड पारदर्शी रूप से साझा किए जा रहे हैं।
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