अयोध्या में दहेज हत्या के एक मामले में दोषी पति सैय्यद अली को 11 साल के कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सुरेंद्र मोहन सहाय ने सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुंबई निवासी वकील खां ने अपनी बेटी साजिदा का निकाह वर्ष 2009 में पटरंगा थाना क्षेत्र के कोपेपुर गांव निवासी सैय्यद अली से किया था। शादी के बाद सैय्यद अली, उनकी मां कमर जहां और बड़े भाई अरशद ने दहेज के लिए साजिदा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसी दौरान सैय्यद अली ने दूसरी महिला से भी निकाह कर लिया। ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर साजिदा ने 31 दिसंबर 2016 को खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली। इलाज के दौरान 7 जनवरी 2017 को साजिदा की मौत हो गई। मृतका के पिता की तहरीर पर पटरंगा थाने में पति सैय्यद अली, सास कमर जहां और जेठ अरशद के खिलाफ दहेज हत्या सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के बाद आरोपी पति सैय्यद अली के खिलाफ दूसरा विवाह करने, दहेज के लिए उत्पीड़न करने और दहेज की मांग पूरी न होने पर हत्या करने का आरोप पत्र न्यायालय भेजा गया। न्यायाधीश ने पत्रावली पर मौजूद सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर सैय्यद अली को दोषी पाया। दहेज हत्या के मामले में उन्हें छह साल के कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने के मामले में तीन साल के कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने का दंड दिया गया। दहेज की मांग करने के अपराध में दो साल के कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। न्यायालय ने आदेश दिया कि जुर्माने की कुल धनराशि 50 हजार रुपये में से 40 हजार रुपये साजिदा के पिता वकील खां को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएं।
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