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320 निजी कर्मचारी बाहर करने की तैयारी:नई एजेंसियों को पुराने स्टाफ की जांच, जिला बदलने और वेरिफिकेशन के निर्देश जारी

परिवहन विभाग में लंबे समय से काम कर रहे 320 निजी कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। परिवहन आयुक्त किंजल सिंह द्वारा जारी आदेश के बाद साफ हो गया है कि विभाग इन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में है। आदेश में नई कार्यदायी संस्थाओं को इन कर्मियों को लेने में सभी सावधानियां बरतने और सख्त सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है। आरटीओ की शिकायत बनी कार्रवाई का आधार ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ संजय तिवारी ने हाल ही में परिवहन आयुक्त को पत्र भेजकर निजी संस्था के कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका आरोप था कि ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंटिंग और अन्य तकनीकी कार्यों में लगे कर्मचारी दलालों से मिलकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, जिससे विभाग की छवि खराब हो रही है। कर्मचारियों ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा था कि वे निर्धारित नियमों के तहत काम करते हैं और किसी भी प्रकार की मिलीभगत नहीं है। इसके बावजूद परिवहन आयुक्त कार्यालय ने बिना किसी विस्तृत जांच प्रक्रिया के सीधे एक्शन मोड में आते हुए आदेश जारी कर दिया। नई एजेंसियों को कहा – स्टाफ को रखने से पहले पूरी जांच करें आयुक्त द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि नई कार्यदायी संस्थाएं यदि पुराने स्टाफ को रखती हैं, तो पहले उसकी पूरी पृष्ठभूमि की जांच सुनिश्चित करें। आदेश में स्पष्ट निर्देश हैं कि— • पूर्व संस्था (स्मार्ट चिप) के किसी भी कर्मचारी को रखने पर उसका जिला बदलना अनिवार्य होगा। • कर्मचारियों ने अब तक जिन जिलों में काम किया है, वहां के एआरटीओ से उनकी कार्यशैली पर आख्या लेना जरूरी है। • सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाए। इस आदेश को कर्मचारी हटाने का अप्रत्यक्ष निर्देश माना जा रहा है, क्योंकि इतने कठोर मानदंडों में बहुत कम लोग फिट हो पाएंगे। लखनऊ में 28 कर्मचारी, प्रदेश में 320 पर संकट परिवहन विभाग के डीएल प्रिंटिंग से लेकर कई तकनीकी कार्य निजी संस्था के माध्यम से पूरे किए जाते हैं। लखनऊ में ऐसे 28 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 320 है। आदेश जारी होते ही सभी कर्मचारी असमंजस में हैं कि उनकी नौकरी बचेगी या नहीं। 5–6 हजार रुपये वेतन वालों पर जिला-बदलाव का बोझ कई कर्मचारी महज 5 से 6 हजार रुपये प्रतिमाह कमाते हैं। ऐसे में आदेश के तहत उनका जिला बदलना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं दिखता। कर्मचारियों का कहना है कि कम वेतन पर दूसरी जगह जाकर रहना और काम करना संभव नहीं, ऊपर से पुलिस वेरिफिकेशन और एआरटीओ की आख्या जैसी शर्तें उन्हें नौकरी से बाहर करने की रणनीति लगती हैं। कर्मचारी करेंगे विरोध, सोमवार को आयुक्त से मुलाकात की तैयारी बिना विभागीय जांच के आरोपों को आधार बनाकर कार्रवाई करने से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है। सभी 320 कर्मचारी अब संगठित होकर सोमवार को परिवहन आयुक्त से मुलाकात करेंगे और अपनी बात रखेंगे। कर्मचारियों की मांग है कि – किसी भी कार्रवाई से पहले औपचारिक जांच समिति बनाई जाए, आरोप साबित होने पर ही कड़ा कदम उठाया जाए, मौजूदा आदेश को फिलहाल रोका जाए।


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