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गोरखपुर में धोखाधड़ी करने का आराेपी गिरफ्तार:हॉस्पिटल में मरीजों को भर्ती दिखाकर, इंश्योरेंस कंपनी को लगा चुका है करोड़ों का चूना

गोरखपुर में डिसेंट हाॅस्पिटल में 1.20 करोड़ रुपये की इंश्योरेंस ठगी मामले में रामगढ़ताल पुलिस ने अस्पताल संचालक शुमशुल कमर के सहयोगी शाहपुर के जेल रोड बाईपास पादरी बाजार निवासी ऋषभ सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी लंबे समय से फर्जी दस्तावेजों और झूठे बिलिंग के माध्यम से बीमा कंपनियों को चूना लगाने वाले नेटवर्क में शामिल था। अब जानें पूरा मामला बीते नौ सितंबर को बजाज आलियांज जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों ने रामगढ़ताल थाना पुलिस को तहरीर दी थी। आरोप था कि डिसेंट और एपेक्स हास्पिटल के नाम पर फर्जी मरीज भर्ती दिखाकर 1 करोड़ 80 लाख 672 रुपये की ठगी की गई। मामला तब प्रकाश में आया जब एक मरीज के परिजनों ने शिकायत कर दी कि मरीज को अस्पताल में भर्ती किए बिना ही उसका इलाज दिखाकर बीमा कंपनी से रकम निकाल ली गई। जांच में पाया गया कि कई मामलों में मरीज अस्पताल में मौजूद ही नहीं थे, लेकिन फाइलों में उनकी भर्ती, जांच और इलाज दर्शाया गया था। पुलिस ने अस्पताल से दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू की, जिसके बाद यह व्यापक फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी न सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस, बल्कि आयुष्मान भारत कार्ड के नाम पर भी बड़े पैमाने पर धांधली कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, आरोपी ऋषभ सिंह डिसेंट अस्पताल के संचालक शुमशुल कमर के साथ मिलकर मरीजों को बिना भर्ती किए ही उनका फर्जी उपचार दिखाता था और बीमा कंपनी से क्लेम के रूप में लाखों रुपये वसूल लेता था। कई हॉस्पिटल से जुड़ा आरोपी का नेटवर्क एसओ रामगढ़ताल नितिन रघुनाथ ने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी ऋषभ इससे पहले शहर के कई अन्य निजी हॉस्पिटल में भी फर्जी दस्तावेज तैयार करने और गैर-कानूनी तरीके से बिलिंग बढ़ाने का काम कर चुका है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपियों की भूमिका केवल एक अस्पताल तक सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे शहर में उनका नेटवर्क फैला हुआ था।
पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद आरोपी के मोबाइल की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। संचालक शुमशुल और ऋषभ के बीच इलाज, बिलिंग और भर्ती दिखाने को लेकर नियमित व्हाट्सएप चैटिंग होती थी। इसी चैटिंग के आधार पर पुलिस ने धांधली के कई सबूत जुटाए हैं। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि चैट में फर्जी मरीजों के नाम, झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने और बीमा रकम क्लेम करने की पूरी साजिश दर्ज है।


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