‘सुबह में मेरी आंख खुली ताे ठंड का एहसास हुआ। अभी ठीक से जागी भी नहीं थी कि बड़े जोर से रोने की आवाज सुनाई दी। इसपर मैं दौड़कर बाहर निकली तो एक युवक हड़बड़ी में तेजी से भागता हुआ नजर आया। यह देखने के लिए मैं दौड़कर अपने नए घर पर गई। इतने में मेरी बहू भी बदहवास भागती हुई वहां पहुंची, जहां में खड़ी थी। तभी उसकी नजर चापाकल पर खून से लथपथ मेरे बड़े बेटे के शव पर पड़ी, जिससे लिपटकर वो दहाड़-दहाड़कर रोने लगी। कुछ देर के लिए मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ।’ VIP के नेता कामेश्वर सहनी की बूढ़ी मां जनार्शी कुंअर ये कहते हुए फफक-फफक कर रोने लगी। इस दौरान वो कई बार बेहोश भी हुईं। कामेश्वर सहनी की शुक्रवार की सुबह 3 अज्ञात बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सहनी का खून से लथपथ शव देख उसकी मां-पत्नी बदहवास होकर रोने लगी। खबर गांव में आग की तरह फैली। देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ जाम हो गई। कामेश्वर हत्याकांड की वजह तलाशने के लिए भास्कर टीम मौके पर पहुंची। टीम ने यहां क्या कुछ देखा और सुना,पढ़ें पूरी रिपोर्ट… गांव में चारों तरफ फैली न टूटने वाली खामोशी गांव में दाखिल होते ही मातमी सन्नाटा पसरा था। बस खामोशी ही खामोशी छाई थी। हर किसी के चेहरे पर उदासी थी। कोई कुछ नहीं बोल रहा था। इसी बीच एक बुजुर्ग से सामने आए। पहले तो वो थोड़ा दूरी बनाते दिखे, लेकिन जब उन्हें पता चला की हम बाहर से आए हैं, तब वो ऑफ कैमरे बोलने के लिए तैयार हुए। काफी टालमटोल करने के बाद वो बोले- ‘जो जैसा करेगा, उसके साथ वैसा ही होता है।’ इसके तुरंत बाद वो थोड़ा रुक कर बोले- गांव में उनका व्यवहार काफी बढ़िया था। सभी के सुख दुख में हमेशा खड़े रहते थे, लेकिन उनका बाहरी काफी दुश्मन थे। ये दुश्मनी ही उनकी हत्या का कारण बनी। कामेश्वर का गांव में कोई दुश्मन नहीं था कुछ आगे बढ़ने पर एक दुकान पर कुछ लोग बैठे दिखाई दिए। हमें अपनी ओर आता देख सभी चुप हो गए। खैर, कुछ देर शांत रहने के बाद वो हमारे साथ सामान्य हो गए और बात करना शुरू किया। उनका कहना था कि कामेश्वर का गांव में कोई दुश्मन नहीं था। उनकी हत्या किसी बाहरी ने कराई है। ये भी हो सकता है गांव का कोई लाइनर की भूमिका निभाया हो। मां ने कहा- 6 से 7 गोलियां चलने की आवाज सुनी, लगा पटाखे फूट रहे हैं… कामेश्वर के घर पहुंचने पर हमारी मुलाकात कामेश्वर की मां जनार्शी कुंअर से हुई, जिन्होंने उस हत्यारे को देखा था, जिसने उनके लाल को गोली से छली कर दिया था। उन्होंने बताया की वह घर से बाहर निकली थीं, तभी गोली चलने की आवाज आई। लगातार 6 से 7 गोली चलने की आवाज सुनाई दी। मानों ऐसा लगा जैसे कि कोई पटाखा फोड़ रहा है। इन आवाजों को सुनने के बाद अपने नए घर पर पहुंची। तो देखा कि मुंह बांधे एक युवक भाग रहा था। मैं अपने नए घर के हाते में गई, तो मुझे कोई नहीं दिखा। पोता सब सोये हुए थे, वह बाहर आ कर पूछने लगे कि इतनी सुबह किसने पटाखा जलाया है। तब तक मेरी बड़ी बहू आई और उसकी नजर नल के पास पड़े मेरे बेटे के खून से लथपथ शव पर पड़ी। फिर क्या था हमारी ताे दुनिया ही उजड़ गई। सब खत्म हो गया बेटा। ये कहते उनकी आंखें फिर डबडबा गई। गला भर गया और वो रोने लगी। घर के लोगों ने संभाला तो कहने लगी कि देखते ही देखते वहां लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। भाई बोला- मेरे परिवार को न्याय दिलाएं मुकेश सहनी-तेजस्वी यादव कामेश्वर के हत्या से नाराज उसका छोटा भाई महेश साहनी ने रोते हुए कहा कि, ‘मेरे भाई का कोई दुश्मनी नहीं था, आखिर किस ने मेरे भाई की हत्या की है। अगर पुलिस उसके हत्यारे को गिरफ्तार नहीं करती है तो आगे का रास्ता मुझे देखा हुआ है। मैं अपने नेता मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव से आग्रह करता हूं कि मेरे भाई के हत्यारे को गिरफ्तार करा मुझे और मेरे परिवार को न्याय दिलाए।’ कामेश्वर की दो पत्नियां थी, इलाके में कामेश्वर की चलती थी तूती कामेश्वर ने 2 शादी की थी। पहली पत्नी से दो बेटा और दूसरी पत्नी से भी एक बेटा है। अभी साथ में ही रहते थे। लोग बताते हैं कि दो हजार के दशक में कामेश्वर की अपने क्षेत्र में तूती चलती थी। डर से कोई कुछ नहीं बोलता था। लेकिन जब उसकी शादी हुई उसके बाद सब कुछ छोड़कर वह घर परिवार चलने लगा। पंचायत चुनाव में अपने छोटे भाई की पत्नी को पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जिताया था, इस बार वह खुद मुखिया का प्रत्याशी घोषित किया था। पंचायत में किसी को कोई भी परेशानी होती थी तो कामेश्वर खड़ा रहता था। रोज अपने घर के दरवाजे पर पंचायत लगता था। किसी का कोई झगड़ा हो या कोई परेशानी हर जगह मौजूद रहता था। उसके इसी बात के लोग कायल थे।
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