साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों पर अत्याचार का हवाला देकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस बार के G20 समिट से दूरी बना ली है। वहीं पुतिन यूक्रेन जंग की वजह से जारी ICC के गिरफ्तारी वारंट के डर नहीं पहुंचे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी आखिरी समय पर तबीयत बिगड़ने की वजह से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए हैं। दुनिया के तीन बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी की वजह से इस बारे के समिट में भारत की भूमिका और ज्यादा बढ़ गई है। पीएम मोदी समिट के तीनों सेशन में भाषण देंगे। यहां वे समावेशी आर्थिक विकास, जलवायु संकट से निपटने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों पर अपने सुझाव रखेंगे। अपनी यात्रा से पहले जारी बयान में पीएम मोदी ने कहा कि यह समिट खास है, क्योंकि पहली बार कोई G20 समिट अफ्रीका महाद्वीप में हो रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत 2023 में हुए G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकन यूनियन को G20 का मेंबर बनाया गया था। इसमें भारत की बड़ी भूमिका थी। G20 समिट भारत के लिए क्यों खास है? साउथ अफ्रीका में हो रही इस साल की G20 समिट भारत के लिए इसलिए खास है क्योंकि 2023 में अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने अफ्रीकन यूनियन को G20 का सदस्य बनवाया था। अब पहली बार अफ्रीका में समिट हो रही है। इसके चलते सभी अफ्रीकी देशों भारत का सम्मान बढ़ा है। शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ अफ्रीका पहुंचने पर स्थानीय कलाकारों ने उनके सम्मान में जमीन पर लेटकर स्वागत किया। ट्रम्प, पुतिन और जिनपिंग की गैरमौजूदगी में भारत समिट का सबसे प्रमुख चेहरा बन गया है। पीएम मोदी समिट के तीनों अहम सत्रों में आर्थिक विकास, क्लाइमेट रेजिलियंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों पर भारत का पक्ष रखेंगे। भारत की ग्लोबल साउथ लीडरशिप और विकासशील देशों की आवाज को मजबूती से पेश करने के लिए यह समिट बड़ा मंच साबित होगी। इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका की बैठक में शामिल होंगे मोदी G20 के अलावा PM मोदी इंडिया-ब्राजील-साउथ अफ्रीका (IBSA) की बैठक में भी शामिल होंगे। साथ ही कई देशों के नेताओं से अलग-अलग मुलाकात करेंगे। मोदी चौथी बार आधिकारिक तौर पर साउथ अफ्रीका पहुंचे हैं। इससे पहले वे यहां 2016 में द्विपक्षीय यात्रा और उसके बाद 2018 और 2023 में दो ब्रिक्स समिट के लिए आ चुके हैं। रवाना होने से पहले मोदी ने स्टेटमेंट जारी कर कहा- यह शिखर सम्मेलन वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का एक अवसर है। उन्होंने कहा कि वो इस समिट में भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘एक परिवार और एक भविष्य’ के दृष्टिकोण को फिर से सामने रखेंगे। G20 समिट साउथ अफ्रीका के लिए मददगार 20 साल के इतिहास में पहली बार G20 समिट साउथ अफ्रीका में हो रहा है। यह देश जलवायु परिवर्तन, कर्ज संकट और धीमे विकास जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। समिट की वजह से अफ्रीकी देश इन चुनौतियों को दुनिया के सामने रख पा रहे हैं। समिट के जरिए इन देशों को कर्ज में राहत, डेवलपमेंट को बढ़ावा देने, शिक्षा में कमी, भुखमरी को कम करने पर जोर दिया जा रहा है। यह समिट संयुक्त राष्ट्र के 2030 के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने के ठीक पांच साल पहले हो रहा है। यानी यह उन बड़े मौकों में से एक है जब दुनिया एक साथ मिलकर अफ्रीका की मदद कर सकती है। ट्रम्प G20 समिट में शामिल नहीं होंगे, राजदूत भेजेंगे नवंबर की शुरुआत में ट्रम्प ने कहा था कि वे G20 समिट में शामिल नहीं होंगे। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आरोप लगाया था कि साउथ अफ्रीका में श्वेत किसानों पर अत्याचार हो रहा है। हालांकि अब उन्होंने G20 समिट से एक दिन पहले अमेरिकी प्रतिनिधि भेजने के अपने रुख में बदलाव कर लिया है। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा ने गुरुवार को कहा कि उन्हें अमेरिका की ओर से एक नोटिस मिला है, जिसमें कहा गया है कि शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बारे में उनका मन बदल गया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने शुक्रवार को कहा कि प्रशासन ने साउथ अफ्रीका में अपने कार्यवाहक राजदूत मार्क डी. डिलार्ड को भेजने की योजना बनाई है, लेकिन वो सिर्फ समिट के लास्ट सेशन में भाग लेंगे। ट्रम्प ने पहले कहा था कि कोई भी अमेरिकी अधिकारी साउथ अफ्रीका नहीं जाएगा, वो इस समिट का बायकॉट कर रहे हैं। इसके जवाब में भारत में साउथ अफ्रीका के हाई कमिश्नर अनिल सूकलाल ने कहा था कि G20 अब इतना बड़ा मंच बन चुका है कि एक देश के न आने से इसका काम नहीं रुकता। G7 देशों ने ही G20 बनाया G20 को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के ग्रुप G7 के विस्तार के रूप में देखा जाता है। G7 में फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा हैं। 1997-98 में एशिया के कई देश (थाईलैंड, इंडोनेशिया, कोरिया आदि) आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। उस समय सिर्फ G7 (7 अमीर देश) फैसले लेते थे, लेकिन संकट एशिया में था। G7 ने महसूस किया कि अब सिर्फ 7 देश मिलकर दुनिया नहीं चला सकते, बल्कि भारत, चीन, ब्राजील जैसे विकासशील देशों को भी शामिल करना पड़ेगा। इन देशों ने 1999 में G20 बनाया। शुरू में यह सिर्फ वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों का फोरम था। फिर 2008 में फैसला लिया गया कि सिर्फ वित्त मंत्री नहीं, देशों के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री भी इसमें शामिल होंगे। नवंबर 2008 में वाशिंगटन में पहली लीडर्स समिट हुई। इसके बाद हर साल यह समिट की जाती है। हर साल G20 की अध्यक्षता बदलती है हर साल G20 की अध्यक्षता बदलती है। G20 के सदस्यों को 5 क्षेत्रीय ग्रुप में बांटा गया है। हर साल एक ग्रुप की बारी आती है, और उस ग्रुप के अंदर से एक देश अध्यक्ष बनता है (अल्फाबेटिकल ऑर्डर या आपसी सहमति से)। अध्यक्ष देश पूरे साल का एजेंडा तय करता है, सारी बैठकें आयोजित करता है और अंत में लीडर्स समिट की मेजबानी करता है। अध्यक्षता 1 दिसंबर से शुरू होती है और 30 नवंबर को खत्म होती है। साउथ अफ्रीका से पहले साल 2024 मेंं ब्राजील ने G20 समिट की अध्यक्षता की थी। वहीं, साउथ अफ्रीका के बाद 2026 की मेजबानी अमेरिका के हिस्से आएगी। G20 समिट 2023 का आयोजन भारत में हुआ था… —————————————– G20 से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मोदी G20 में शामिल होने साउथ अफ्रीका रवाना: ट्रम्प ने 24 घंटे पहले बदला मन, खुद शामिल नहीं होंगे, आखिरी दिन राजदूत भेजेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शुक्रवार सुबह तीन दिन की साउथ अफ्रीका यात्रा पर रवाना हुए हैं। मोदी के आज शाम 6 बजे तक साउथ अफ्रीका पहुंचने की उम्मीद है। वे जोहान्सबर्ग में होने वाले G20 देशों के 20वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
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