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थर्मल प्लांट में बिजली उत्पादन शुरू पर हरित विकास की राह अब भी है अधूरी

भास्कर न्यूज | बक्सर चौसा के 1320 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट की पहली 660 मेगावाट यूनिट से बिजली आपूर्ति शुरू हो गई है, जिससे राज्य की ऊर्जा आवश्यकता को महत्वपूर्ण सहारा मिला है। लेकिन बिजली उत्पादन के साथ किए गए पर्यावरणीय वादे अब भी धरातल पर नहीं उतर सके हैं, जिसके कारण स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। हरित पट्टी विकसित करने की योजना वर्षों से लंबित है, जबकि प्लांट संचालन शुरू हो चुका है। परियोजना की स्थापना के समय यह स्पष्ट रूप से तय किया गया था कि थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले धुएं और ताप के असर को संतुलित करने के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जाएगा। इसके तहत प्लांट परिसर और आसपास के क्षेत्रों में हरित पट्टी विकसित करने की योजना थी, ताकि औद्योगिक गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके। मगर पहली यूनिट चालू होने के बावजूद अब तक इस दिशा में कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है। चारों ओर हरियाली विकसित करने की योजना केवल कागजी स्तर तक सीमित नजर आती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले धुएं और गैसों से आसपास के लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र तक के वायुमंडल पर असर पड़ सकता है। ऐसे में प्रदूषण को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय सघन पौधारोपण ही है। इससे न केवल वातावरण स्वच्छ रहेगा, बल्कि क्षेत्र के जैविक संतुलन को भी बनाए रखने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, हरित पट्टी बनने से वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा और तापीय प्रभावों में कमी आएगी। जनप्रतिनिधियों ने कई बार कंपनी को निर्देश दिए हैं पौधारोपण को लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार कंपनी को निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके, अब तक हरित पट्टी निर्माण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं दिख रही। लोगों का कहना है कि पावर प्लांट से बिजली तो मिलने लगी है, पर पर्यावरणीय वादों पर कंपनी का ध्यान नहीं है। इससे ग्रामीणों के बीच निराशा का माहौल है और वे लगातार प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कंपनी के पर्यावरण कार्यपालक पदाधिकारी धीरज कुमार सिंह ने बताया कि पौधारोपण की योजना पहले से तैयार है। गंगा में आई बाढ़ का पानी घटने के बाद सघन वृक्षारोपण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उनके अनुसार, बाढ़ का असर समाप्त होते ही चयनित क्षेत्रों में हरियाली लाने का कार्य आरंभ होगा, ताकि पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बक्सर का यह थर्मल पावर प्लांट राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इस परियोजना की वास्तविक सफलता तभी मानी जाएगी जब यह न केवल बिजली उत्पादन में अग्रणी बने, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी एक मिसाल पेश करे। स्थानीय प्रशासन, कंपनी और ग्रामीणों के सहयोग से यदि पौधारोपण योजना शीघ्र शुरू की जाए, तो चौसा का यह प्लांट विकास और हरियाली दोनों का प्रतीक बन सकता है। अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं कंपनी के अधिकारी दावा करते हैं कि थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली गैसों के ट्रीटमेंट के लिए अत्याधुनिक मशीनें लगाई जा रही हैं। इन मशीनों के माध्यम से सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को नियंत्रित किया जाएगा, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम हो सके। हालांकि, अधिकारी स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के साथ-साथ पौधारोपण इस पूरी प्रक्रिया का आवश्यक हिस्सा है, और इसे जल्द लागू किया जाना चाहिए।


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