एक व्यक्ति दो जन्म प्रमाणपत्र, एक ग्राम पंचायत तो दूसरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जारी होने पर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य उ प्र से प्रदेश स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा प्रमुख सचिव जन्म प्रमाणपत्र जारी करने में मनमानी पर रोक लगाते। कोर्ट ने कहा याची ने दो भिन्न जन्म प्रमाणपत्र पेश कर बता दिया कि प्रदेश में कोई भी कहीं से भी मनमानी जन्मतिथि से प्रमाणपत्र ले सकता है। कोर्ट ने सिस्टम की खामी दुरूस्त करने के कदम उठाने तथा केवल एक ही जन्म तिथि प्रमाणपत्र जारी होने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शिवांकी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। इससे पहले कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी से जानकारी मांगी थी । उस पर निदेशक यू आई डी ए आई क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ ने जानकारी दी कि याची ने आधार कार्ड के लिए दो भिन्न जन्म प्रमाणपत्र दिए हैं। एक निबंधक जन्म एवं मृत्यु द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य विभाग मनौता के मार्फत व दूसरा ग्राम पंचायत हरसिंघपुर का। दोनों में अलग जन्म तिथि दर्ज है। एक में जन्मतिथि 10 दिसंबर 2007 तो दूसरे में 1 जनवरी 2005 दर्ज है। जिससे स्पष्ट है कि विभाग में हर स्तर पर बेईमानी व्याप्त है। इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव से सफाई मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को याचिका में पक्षकार बनाया है।
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