फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में चल रहे आतंकी मॉड्यूल से जुड़ी कुछ नई जानकारियां सामने आई हैं। इस मॉड्यूल से जुड़े सभी प्रमुख डॉक्टरों की ड्यूटी तय थी। आतंक का नेटवर्क खड़ा करने में डॉ. मुजम्मिल शकील की अहम भूमिका रही है, जो लोगों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद रिक्रूट करता था। नए लोगों को शामिल करने के बाद डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी उनकी आर्थिक मदद करते और ब्रेनवॉश करते थे। मुजम्मिल यह काम मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों के घर मदद के बहाने जाकर करता था। अस्पताल के जिन कर्मचारियों के नाम इस नेटवर्क में शामिल हैं, उनके परिवार वालों ने खुलासा किया है कि मुजम्मिल इलाज या किसी अन्य बहाने उनके घर आया था। यूं तो मुजम्मिल यूनिवर्सिटी के इमरजेंसी वार्ड का सर्जन था, लेकिन पर्दे के पीछे उसकी भूमिका आतंकी मॉड्यूल में मदद करने वालों की टीम खड़ी करना था। वह यूनिवर्सिटी के अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और अस्पताल में काम करने वाले लोगों पर नजर रखता था। ज़रूरत पड़ने पर वह इलाज या अन्य तरीकों से लोगों से संपर्क करता और उनके घर की जानकारी जुटा लेता था। इन 5 बातों से समझें, कैसे नेटवर्क तैयार कर रहा था मुजम्मिल… अब जानें, डॉ शाहीन और उमर की क्या भूमिका रहती थी… दोनों ब्रेन वॉश करते थे, ग्रुप से जोड़ते-मोटिवेशनल वीडियो भेजते
मुजम्मिल के रिक्रूटमेंट करने के बाद अगला काम डॉ. शाहीन और उमर नबी का होता था। दोनों ही यूनिवर्सिटी के उच्च पदों पर बैठे हुए थे, जिस कारण उन्हें किसी से काम लेने और कहीं पर भेजने में कोई दिक्कत नहीं आती थी। फार्मासिस्ट की एचओडी होने का शाहीन सईद ने फायदा उठाया और अपनी टीम के मेंबर को नौकरी भी लगवाया। बाशिद को नौकरी अस्पताल के मेडिसन विभाग में डॉ. शाहीन ने डॉ. उमर के कहने पर लगाई, जिसके बाद बाशिद पूरी तरह से उनके नेटवर्क में शामिल हो गया। ब्रेनवॉश करने के लिए दोनों नेटवर्क को सोशल मीडिया ग्रुप से जोड़ते और फिर वीडियो या अन्य मैसेज भेजकर प्रेरित करते। लड़कियों को शामिल करने का प्लान
डॉ. शाहीन ने अपनी टीम में लड़कियों को शामिल करने का भी प्लान तैयार किया था, जिसके तहत उसने कुछ लड़कियों की लिस्ट भी बनाई थी, जिसका जिक्र उसकी डायरी में भी है। इसके अलावा, किसको कितने पैसे की मदद करनी है, इसका फैसला भी डॉ. शाहीन और उमर नबी मिलकर ही करते थे। शाहीन लड़कियों की टीम बनाने में कामयाब नहीं हुई और उसने टीम बनाने की जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल को सौंप दी। मुज्जमिल ने ली टीम की जिम्मेदारी
डॉ. शाहीन की प्लानिंग फेल होने के बाद उसने दूसरी जिम्मेदारी ली, जिसके तहत शाहीन पैसों से टीम के सदस्यों की मदद करती और जब वे पूरी तरह से उनके काम में आ जाते तो उसके बाद उन्हें अंत में डॉ. नबी को सौंप दिया जाता था। डॉ. उमर बॉम्ब बनाने में माहिर
बॉम्ब बनाने में सबसे ज्यादा माहिर डॉ. उमर नबी था, और उसने अपनी टीम में शामिल होने वाले हर शख्स को गाड़ी चलाने के लिए दी और सबसे अलग-अलग काम लिए गए। डॉ. उमर नबी ने बाशिद को अपनी गाड़ी से सामान लाने और ले जाने के लिए चुना, और वह नूंह से धौज और फतेहपुर तगा तक विस्फोटक पदार्थ लाल इको स्पोर्ट में पहुंचाने का काम कर रहा था। शोएब ने साली के घर छिपाया
शोएब को उमर ने अपने छिपने के लिए जगह तलाश करने की जिम्मेदारी दी थी। पुलिस की जांच के अनुसार ब्लास्ट से पहले 31 अक्टूबर को शोएब ही उमर को नूंह में अपनी साली अफसाना के घर में छोड़कर आया था। जहां पर उमर को 10 दिनों के लिए कमरा बिना किसी दस्तावेज के किराए पर दिलाया था। 9 नवंबर की रात को डॉ. उमर वहां से निकला और अगले दिन दिल्ली में लाल किले के सामने ब्लास्ट किया। ——————————– ये खबर भी पढ़ें :- विदेश जाने की फिराक में था चेयरमैन सिद्दीकी:ED का दावा-अलफलाह की कमाई ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम, बड़ा हिस्सा पर्सनल यूज किया दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों के निशाने पर आई अल-फलाह यूनिवर्सिटी का चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी विदेश जाने की फिराक में था। उसने किसी ऐसे देश में जाने की प्लानिंग बनाई थी, जो इंडियन पासपोर्ट को ऑन अराइवल वीजा प्रोवाइड करवाते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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